केंद्र ने मणिपुर में मैतेई उग्रवादी समूहों पर प्रतिबंध का फैसला लेने के लिए एक ट्रिब्यूनल का गठन किया है। मणिपुर में हिंसक घटनाओं के मद्देनजर केंद्र सरकार ने मैतेई समूहों पर प्रतिबंध लगाया था। लेकिन अब ट्रिब्यूनल इसलिए बनाया गया है कि इन पर पाबंदी आगे बढ़ाई जाए या नहीं। केंद्र सरकार का खुद का क्या रुख है, इसकी स्पष्ट जानकारी देने से वो कतरा रही है। अगर ट्रिब्यूनल ने पाबंदी हटाने को कहा तो क्या सरकार इन विवादित मैतेई समूहों से पाबंदी हटा देगी। मणिपुर में भाजपा सरकार है और वहां मैतेई समुदाय से मुख्यमंत्री है।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि विद्रोहियों से बातचीत अंतिम चरण में है, लेकिन मुख्यमंत्री ने भूमिगत संगठन का नाम बताने से मना कर दिया। मणिपुर लंबे समय से जातीय हिंसा से पीड़ित है। सरकार का कहना है कि जल्द ही राज्य में शांति लौटेगी।
घात लगाकर किए गए हमले में मणिपुर पुलिस के कई कमांडो घायल हो गए हैं। एक पुलिस अधिकारी की मौत होने की खबरें भी हैं। यह घटना मंगलवार शाम कुकी आदिवासी बहुल गांव में हुई है।
मणिपुर में हालात खराब हैं। भाजपा के एक दफ्तर को जला दिया गया। दो छात्रों की हत्या के बाद राज्य में लगातार हिंसक घटनाएं हो रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मामले में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से फोन पर बातचीत की। हालात हद से गुजर जाने के बावजूद मणिपुर के सीएम को केंद्र का पूरा संरक्षण प्राप्त है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को मणिपुर मामले पर बयान देते हुए मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग की थी।
मणिपुर फिर सुलग रहा है लेकिन पीएम मोदी तमाम चुनावी राज्यों में घूम घूम कर गारंटी बांट रहे हैं। वो मणिपुर में जाकर किसी तरह की गारंटी नहीं देना चाहते। क्योंकि मणिपुर में फिलहाल चुनाव नहीं है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को सरेआम केंद्र सरकार संरक्षण दे रही है जबकि राज्य पुरी तरह जातीय हिंसा में झुलस चुका है।
मणिपुर में जातीय हिंसा की फिर से भयानक तस्वीर सामने आई है। इस तस्वीर से राज्य में जातीय हिंसा का नया दौर शुरू हो सकता है। इतना सब होने के बावजूद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है। केंद्र सरकार का पूरा संरक्षण उन्हें हासिल है।
मणिपुर में हालात फिर खराब हैं। इंफाल में कर्फ्यू लगा दिया गया है। इम्फाल पश्चिम के सिंगजामेई पुलिस स्टेशन में प्रभारी अधिकारी के आवास में भी तोड़फोड़ की गई। पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने जवाबी कार्रवाई में आंसू गैस के गोले छोड़े।
मणिपुर के एक मैतेई ग्रुप ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर राज्य से असम राइफल्स को हटाने की मांग की है। मणिपुर में असम राइफल्स को लगातार विवादों में घसीटा जा रहा है। हाल ही में उसके बैरिकेड्स पर मैतेई समूहों ने हमले भी किए हैं। केंद्र सरकार ने असम राइफल्स की तैनाती राज्य में कानून व्यवस्था बनाने के लिए की है। असम राइफल्स ने हाल ही में कुछ ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने मणिपुर पुलिस के हथियार लूटे थे।
देश में आमतौर पर केंद्रीय सुरक्षा बलों के एक्शन की निन्दा नहीं के बराबर होती है। खासकर सत्तारूढ़ पार्टी तो हर्गिज ऐसा नहीं करती लेकिन भाजपा शासित मणिपुर सरकार ने केंद्रीय सुरक्षा बलों की उनकी कार्रवाई के लिए बाकायदा निन्दा की है। मणिपुर सरकार कहना है कि अब तक जातीय हिंसा में 170 से अधिक लोग मारे गए हैं, 700 से अधिक घायल हुए हैं और विभिन्न समुदायों के 70,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। लेकिन नाराजगी दो दिन पहले की घटना को लेकर है।
मणिपुर के पांच जिलों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया। वहां के एक संगठन ने घाटी को बंद करने का आह्वान किया है। केंद्र और मणिपुर सरकार लगातार दावे कर रही है कि वहां हालात सामान्य हैं। कांग्रेस ने बुधवार को सरकार से पूछा कि कहां हैं हालात सामान्य, फिर कर्फ्यू क्यों।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मणिपुर की जातीय हिंसा पर मीडिया कवरेज को लेकर एक फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट जारी की तो मणिपुर सरकार ने गिल्ड के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। देश के तमाम पत्रकार संगठनों ने इसकी निन्दा की है।
मणिपुर में हिंसा फिर से शुरू हो गई है। इसकी शुरुआत गुरुवार से हुई थी लेकिन शनिवार और रविवार को यह जोर पकड़ गई। कई गांवों में घरों को जला दिया गया है और लोगों को मार दिया गया है। यह तब हो रहा है जब वहां सेना और अन्य सुरक्षा बल तैनात हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 31 को मणिपुर मामले की सुनवाई जारी रही। अदालत मंगलवार 1 अगस्त को इस मामले की सुनवाई फिर करेगी। भारत के चीफ जस्टिस ने इस बात पर सख्त टिप्पणी की कि दूसरे राज्यों में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं। अदालत ने कहा कि अन्य जगहों के मामलों की आड़ मणिपुर के लिए नहीं ली जा सकती।
भारत बहुसंस्कृति वाला देश है। हमारा संविधान भी इसकी पुष्टि करता है। यानी हमारे नेताओं ने ऐसे भारत का सपना देखा था, जहां हर मजहब, जाति, समुदाय के लोग मिलजुल कर रहेंगे लेकिन स्तंभकार अपूर्वानंद कहते हैं कि उस ख्वाब की ताबीर को मणिपुर में कुचल दिया गया है।