बार बार हमें समझाने की कोशिश की जा रही है कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर की हिंसा पर बहुत कड़ाई से अपनी बात कह दी है, इसलिए अब सरकार से मणिपुर के बारे में सवाल करने का मतलब क्या है। कहा जा रहा है कि इस बयान के बाद विपक्ष को अपनी ज़िद छोड़ देनी चाहिए कि मणिपुर की हिंसा पर संसद में चर्चा हो।सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री ने सरकार का रुख़ साफ़ कर दिया है।
मणिपुरः इस ढोंग पाखंड को बर्दाश्त करने को हम क्यों मजबूर हैं ?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 29 Mar, 2025


मणिपुर पर यह कहकर बचा नहीं जा सकता कि ऐतिहासिक रूप से कुकी-मैतेयी विभाजन का मामला है। मणिपुर की हिंसा के लिए राज्य ज़िम्मेवार है, यह साफ़ साफ़ कहने की आवश्यकता है।


























