जिसका डर था, वही आशंका सामने आई है। विश्व मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आज मंगलवार को कहा है कि भारत में 2023 में मंदी आ सकती है लेकिन 2024 में हालात मामूली ठीक हो जाएंगे। आईएमएफ ने मंगलवार को विश्व अर्थव्यवस्था आउटलुक रिपोर्ट में यह बात कही।
क्या दुनिया में जिस आर्थिक मंदी की आशंका जताई जा रही है, उसका संकेत अब आईएमएएफ़ ने भी दे दिया है? जानिए, इसने दुनिया भर के देशों और भारत का विकास दर अनुमान क्यों घटाया।
आईएमएफ यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि वह श्रीलंका में स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है। तो क्या वह श्रीलंका को बेलआउट करने यानी आर्थिक संकट से उबारने के रास्ते पर आगे बढ़ेगा?
एक के बाद एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टें 2022-23 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान क्यों घटा रही हैं? कोरोना काल से उबरने की जो उम्मीद बंधी थी वह क्यों धूमिल होने लगी है?
सरकार भले ही यह दावा करे कि टीके की कोई कमी नहीं है और दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान सही ढंग से चल रहा है, आईएमएफ़ ने अनुमान लगाया है कि इस साल के अंत तक भारत के एक तिहाई लोगों को ही टीका लगाया जा सकेगा।
क्या अमेरिका को चीन ने पछाड़ दिया है? क्या कोरोना ने अमेरिका की कमर तोड़ दी है? क्या है चीन के आगे बढ़ने का राज? आशुतोष के साथ चर्चा में- पूर्व सचिव, विदेश मंत्रालय विवेक काटजू और आलोक जोशी।
Suniye Sach में देखिए- अमेरिका से छिनी सौ साल की बादशाहत, नंबर वन बनी चीनी अर्थव्यवस्था। बीजेपी अध्यक्ष की फटकार बेअसर, सुरेंद्र सिंह ने दी अधिकारी को धमकी!Satya Hindi
सवाल यह उठने लगा है कि क्या चीन अमेरिका को पछाड़ कर, उसे पीछे धकेल कर दुनिया की पहले नंबर की अर्थव्यवस्था बन चुका है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आँकड़ों के अध्ययन करने से यह तसवीर उभर कर सामने आती है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने अपने अनुमान में कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था और ज़्यादा सिकुड़ेगी। इसका अनुमान है कि मार्च 2021 में ख़त्म होने वाले इस वित्त वर्ष में जीडीपी 10.3 फ़ीसदी सिकुड़ जाएगी।