उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी सरकार की योजनाओं और कथित उपलब्धियों का प्रचार ऐसे कर रहे हैं, मानो उन्हें अगले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा का नहीं बल्कि देश का चुनाव लड़ना है।
उत्तर प्रदेश में छुट्टा पशुओं की समस्या किसानों के लिए मुसीबत बन गई है। खेत ही नहीं, घर के आसपास सब्जी बोने पर भी आफत है। गोरक्षा के नाम पर सरकार की ओर से किए गए बदलावों ने इस मुसीबत को कई गुना बढ़ा दिया है।
कोरोना काल में देश ने इस महामारी का जबरदस्त कहर देखा और सवाल सीधे केंद्र और राज्य सरकारों पर उठे। लेकिन अब इन सवालों से बचने का या अपनी नाकामियों को छुपाने का तरीक़ा सरकारों ने निकाल लिया है।
भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरकार से लेकर संगठन में बदलाव पर गंभीरता से विचार कर रहा है, वहीं प्रदेश के मंत्रियों व दूसर विधायकों से फीडबैक लेने की कवायद भी शुरू हो गई है।
यूपी सरकार 4 साल की ‘उपलब्धियों’ का जश्न मना रही है। करोड़ों रुपये विज्ञापन पर ख़र्च कर। वहीं बाल विकास एवं पोषाहार विभाग के लाखों कर्मचारियों की महीनों से वेतन नहीं मिलने की शिकायतें हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान नाबालिगों की कथित अवैध हिरासत पर योगी सरकार से जवाब तलब किया है।
सरकारी तंत्र का दावा है कि बहुसंख्यक समाज में फूट डालने के लिए मुसलिम देशों और इसलामिक कट्टरपंथी संगठनों से पैसा आया था। हालांकि पैसा आने का कोई सुबूत पेश नहीं किया गया है।
3 साल के अपने शासन के दौरान एनकाउंटरों में हुई सवा सौ से ज़्यादा मौतों को 'जायज़' ठहराने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आत्मरक्षार्थ रणनीति अपनाने का यह पहला मौक़ा है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कथित तौर पर घटिया पीपीई किट सप्लाई के मामले में किसी तरह के घोटाले से साफ़ इनकार कर दिया है। घटिया पीपीई किट की सप्लाई को लेकर लिखी गयी महानिदेशक की चिट्ठी के लीक होने की अलबत्ता जाँच शुरू कर दी है।
होर्डिंग मामले में योगी सरकार के वसूली अध्यादेश पर रविवार को इस पर राज्यपाल का हस्ताक्षर भी हो गया। संपत्ति नुक़सान पहुँचाने वाले को अब क्षतिपूर्ति देनी ही होगी। इसके लिए राज्य सरकार ने क्लेम ट्रिब्यूनल भी बना दिया है।