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वी सेंथिल बालाजी।

तमिलनाडु के मंत्री की गिरफ़्तारी पर सुनवाई से जज ने खुद को किया अलग

ईडी द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी के परिवार द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई से मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आर शक्तिवेल ने आज खुद को अलग कर लिया। जज ने ऐसा किस वजह से किया है, वह कारण नहीं बताया गया है।

तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की ईडी द्वारा गिरफ़्तारी की आलोचना की जा रही है। इस गिरफ़्तारी को विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार की बदले की कार्रवाई क़रार दिया है। विपक्षी दलों ने कहा है कि उन्हें निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।  ईडी ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सेंथिल बालाजी को देर रात गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। मंत्री से घंटों पूछताछ हुई। चेन्नई में बालाजी का सरकारी निवास, फोर्ट सेंट जॉर्ज में राज्य सचिवालय में उनका सरकारी कमरा और चेन्नई में उनके भाई अशोक के घर में भी ईडी के अधिकारी घुसे थे। ऐसी कार्रवाई पर विपक्षी दलों ने नाराज़गी जताई है।

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इसी बीच, गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ मंत्री के परिवार की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, वरिष्ठ वकील एनआर एलांगो ने सुबह न्यायमूर्ति एम सुंदर और न्यायमूर्ति आर शक्तिवेल की पीठ के समक्ष इसका ज़िक्र किया। चूंकि तब फाइलों पर नंबर नहीं लगे थे, इसलिए पीठ ने वकील से कहा कि वह दोपहर में फिर से इस मामले का उल्लेख करें। रिपोर्ट के अनुसार जब दोपहर में मामला सामने आया तो न्यायमूर्ति शक्तिवेल ने काउंसल को सूचित किया कि वह मामले से अलग हो रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार एलांगो ने पहले तर्क दिया था कि गिरफ्तारी सही दिशा-निर्देशों का पालन किए बिना और बालाजी के परिवार को गिरफ्तारी की सूचना दिए बिना की गई थी। 

बता दें कि मामला राज्य के परिवहन विभाग में नौकरी के लिए घोटाले से जुड़ा है, जो कथित तौर पर 2011-16 में एआईएडीएमके शासन में परिवहन मंत्री के रूप में बालाजी के कार्यकाल के दौरान हुआ था। मामला मार्च 2021 में विधानसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर दर्ज किया गया था। 

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर, 2022 को मद्रास हाईकोर्ट द्वारा बालाजी और अन्य को मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम मामले में भेजे गए ईडी समन को खारिज करने के पिछले फैसले को रद्द करते हुए जांच का रास्ता साफ कर दिया था।

ईडी ने मंगलवार को 18 घंटे की लंबी तलाशी और पूछताछ के बाद बालाजी को उनके आधिकारिक आवास, राज्य सचिवालय स्थित उनके आधिकारिक कक्ष और उनके भाई के आवास पर गिरफ्तार किया था। तलाशी के बाद बुधवार तड़के ईडी ने बालाजी को गिरफ्तार कर लिया।

ये तलाशी कैश-फॉर-जॉब स्कैम के सिलसिले में की गई थी, जो कथित तौर पर 2011-2016 के बीच एआईएडीएमके शासन के तहत परिवहन मंत्री के रूप में बालाजी के कार्यकाल के दौरान हुआ था।

उच्च न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में घोटाले की नए सिरे से जांच का आदेश दिया था और कहा था कि इसमें अनियमितताएं हैं। अदालत ने यह कहते हुए मंत्री की आरोपमुक्ति याचिका भी खारिज कर दी थी कि आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सामग्री है और यह मामला समाज को प्रभावित करता है।

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इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और ईडी की कार्यवाही पर रोक लगाने के उच्च न्यायालय के एक निर्देश को भी रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत ने एजेंसी को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत अपराधों को शामिल करके जाँच को आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी। इस मामले की सुनवाई के लिए एक नई पीठ का गठन किया जाना बाकी है।

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क़मर वहीद नक़वी
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