ब्रह्मांड की सबसे रोचक घटना किसी न्यूट्रॉन सितारे के दूसरे न्यूट्रॉन सितारे से जा टकराने की है। इसे सीधे देखने के लिए दुनिया भर के खगोलशास्त्री तरसते हैं और ज्ञात इतिहास में अभी तक इसको सिर्फ़ एक बार, सन 2017 में देखा जा सका है। ऐसी दूसरी घटना अभी पिछले महीने, यानी फरवरी 2025 की शुरुआत में दर्ज की गई हो सकती है, लेकिन वैज्ञानिक ऐसी घोषणा करने से पहले जांच-परख के लिए थोड़ा और वक़्त लेना चाहते हैं। ऐसी घटनाओं के बारे में, और अभी इस पर बात करने की प्रासंगिकता को लेकर भी हम आगे चर्चा करेंगे। लेकिन उससे पहले यह जान लें कि न्यूट्रॉन सितारे आखिर हैं क्या बला। इसके लिए हमें तारों की मौत से जुड़ा एक सबक़ दोहराना पड़ेगा।
न्यूट्रॉन तारों के टकराने से जब सोने का बादल बन जाता है!
- विविध
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- 29 Mar, 2025

दो न्यूट्रॉन तारों की टक्कर से न केवल एक अदृश्य ब्लैक होल बना, बल्कि 16,000 पृथ्वियों के वजन जितने भारी तत्वों के बादल भी बने। इनमें से 1,600 पृथ्वियों के बराबर सोना और प्लैटिनम मौजूद था। जानिए इस विस्फोट के विज्ञान को।
तारों को चमकने की ऊर्जा सबसे बुनियादी स्तर के फ्यूजन, यानी हाइड्रोजन को हीलियम में बदलने की प्रक्रिया से मिलती है। सबसे बुनियादी स्तर के तारे ब्राउन ड्वार्फ होते हैं। इनकी भट्ठी धीमी सुलगती है। हमारा बृहस्पति अगर ग्यारह गुना और बड़ा होता तो ऐसा ही होता। ऐसे तारे बहुत दिन तक जीते रहते हैं। फिर धीरे-धीरे बुझकर राख का ढेर बन जाते हैं। उससे ऊपर का तारा हमारा सूरज है। नारंगी से पीले के बीच के रंग वाला तारा। अभी की दोगुनी उम्र होने पर इसकी सारी हाइड्रोजन फुंक जाएगी। तब यह फूलकर बहुत बड़ा हो जाएगा, और फिर फटकर इसकी चिंदियां उड़ जाएंगी। इससे ज्यादा बड़े तारों की मौत भी कमोबेश ऐसी होती है, लेकिन उनके दो हिस्से हो जाते हैं।