श्रीलंका के मामले में भारत एक अजीब-सी दुविधा में फंस गया है। पिछले एक-डेढ़ दशक में जब भी श्रीलंका के तमिलों पर वहां की सरकार ने जुल्म ढाए, भारत ने द्विपक्षीय स्तर पर ही खुली आपत्ति नहीं की बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी तमिलों के सवाल को उठाया।
संयुक्त राष्ट्र में श्रीलंका पर तटस्थ क्यों रहा भारत?
- विचार
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- 25 Mar, 2021


भारत ने 2012 और 2013 में दो बार संयुक्त-राष्ट्र संघ के मानव अधिकार आयोग में इस मुद्दे पर श्रीलंका के विरोध में मतदान किया लेकिन इस बार इसी आयोग में श्रीलंका सरकार के विरोध में कार्यवाही का प्रस्ताव आया तो भारत तटस्थ हो गया। उसने मतदान ही नहीं किया।
भारत ने 2012 और 2013 में दो बार संयुक्त-राष्ट्र संघ के मानव अधिकार आयोग में इस मुद्दे पर श्रीलंका के विरोध में मतदान किया लेकिन इस बार इसी आयोग में श्रीलंका सरकार के विरोध में कार्यवाही का प्रस्ताव आया तो भारत तटस्थ हो गया। उसने मतदान ही नहीं किया।


























