प्राथमिक भाव भय का था। फिर घृणा। और तब स्वाभाविक क्रम में हिंसा। यह कैसे हुआ जबकि घोषणा युद्ध की की गई थी प्रत्येक देशवासी को योद्धा की पदवी प्रदान की गई थी? पूरे देश को मिलकर युद्ध करना था, यही तो कहा गया था? योद्धाओं के लिए शंखनाद किया गया था, आकाश से पुष्पवर्षा भी की गई थी? तो योद्धा कौन था और युद्ध के साथ लगा हुआ स्वाभाविक भाव वीरता को कहाँ देखा हमने? इन दो महीनों में वीरता की कितनी छवियाँ आपको याद आती हैं?