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जानिए प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर बिहार में रिकॉर्ड टीके कैसे लगे!

बिहार में जहाँ 16 सितंबर को क़रीब 86 हज़ार टीके लगाए गए वहीं एक दिन बाद प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर 33 लाख से ज़्यादा टीके कैसे लग गए? या फिर उसके एक दिन बाद क़रीब दो लाख और दूसरे दिन डेढ़ लाख से भी कम क्यों खुराक लगाई गई? इस बीच मध्य प्रदेश में तो रिकॉर्ड टीकाकरण के दिन ऐसी गड़बड़ी भी सामने आई थी कि जिनकी मौत कोरोना से 4 महीने पहले भी हो गई थी उनको टीका लगाया हुआ बता दिया गया था।

दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर जब पूरे देश में रिकॉर्ड 2.5 करोड़े टीके लगाए जाने के दावे किए गए उस दिन बिहार में भी रिकॉर्ड बना। को-विन वेबसाइट के अनुसार उस दिन रिकॉर्ड 33 लाख से ज़्यादा टीके लगाए गए। तब देश के सभी राज्यों में बिहार नंबर एक पर रहा। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी क़रीब 29-29 लाख टीके ही लगाए जा सके। आख़िर यह सब कैसे हुआ?

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यह कैसे हुआ होगा, इसका जवाब तो को-विन वेबसाइट पर उपलब्ध आँकड़े ही बता देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन से एक दिन पहले 1 लाख भी टीकाकरण नहीं हो पाया था। उससे भी एक दिन पहले तो 1 लाख 45 हज़ार ही टीके लगाए गए थे। 10 सितंबर से 16 सितंबर के बीच के हफ़्ते में हर रोज औसत रूप से 4 लाख 64 हज़ार टीके लगाए जा सके। जन्मदिन के बाद के छह दिनों में औसत रूप से 4 लाख टीके ही लगाए जा सके हैं।

बिहार के ज़िलों के भी आँकड़े कुछ ऐसी ही कहानी कहते हैं। मिसाल के तौर पर औरंगाबाद ज़िले के आँकड़ों को ही लीजिए। प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर 73 हज़ार से ज़्यादा टीकाकरण किया जाना बताया गया है, जबकि उससे एक दिन पहले 16 सितंबर को सिर्फ़ 558 टीके और 15 सितंबर को क़रीब 2200 टीके लगाए गए। उनके जन्मदिन के एक दिन बाद फिर संख्या घटकर 4 हज़ार से भी कम हो गई और 19 सितंबर को तो यह सिर्फ़ डेढ़ हज़ार हो गई। 

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वैसे, बता दें कि को-विन वेबसाइट पर टीकाकरण की जानकारी अपलोड दो तरीक़े से की जाती है। एक, लोग खुद से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर पहले से तय वैक्सीन सेंटर पर टीका लगवाते हैं और उसे अधिकारी को-विन पर अपडेट करते हैं। दूसरा, तरीक़ा है ऑफ़लाइन का। स्वास्थ्य अधिकारी गांव-कस्बों में जाकर टीके लगाते हैं और वे लोगों से इसके लिए ज़रूरी सभी जानकारियाँ रजिस्टर में दर्ज कर लेते हैं। उन जानकारियों को अधिकारी बाद में को-विन वेबसाइट पर अपलोड करते हैं। अब यह साफ़ नहीं है कि उनको उसी दिन वेबसाइट पर अपडेट कर दिया जाता है या नहीं। 

ऐसी रिपोर्ट तब है जब प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर रिकॉर्ड टीके लगाए जाने के लिए बीजेपी नेताओं और बीजेपी शासित राज्यों में अधिकारियों पर जबरदस्त दबाव था। रिकॉर्ड टीकाकरण के लिए अभियान को ख़ूब प्रचारित-प्रसारित किया गया था। खुद नीतीश कुमार इस अभियान में शामिल रहे थे। 

बता दें कि हाल में मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर टीकाकरण में गड़बड़ियों की शिकायतें आई थीं। जिस दिन ढाई करोड़ टीके लगाए जाने का दावा किया गया उस दिन मध्य प्रदेश के आगर मालवा में उनको भी टीका लगने का मैसेज परिवार वालों को मिला जिनकी मौत कोरोना से चार महीने पहले ही हो गई थी। ऐसे भी मामले आए जो जीवित तो हैं लेकिन उन्होंने दूसरी खुराक नहीं ली है, लेकिन उसका मैसेज उन्हें मिला। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया। ऐसी ही गड़बड़ियों की शिकायत 21 जून के टीकाकरण को लेकर आई थी और तब भी रिकॉर्ड टीके लगाए गए थे।

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क़मर वहीद नक़वी
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