बिहार विधानसभा में एक ऐसी घटना हुई जो भारत के संसदीय इतिहास में कभी देखी नहीं गयी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा अध्यक्ष पर ही बिफर गए और यहाँ तक कह दिया कि अध्यक्ष संविधान के हिसाब से सदन नहीं चला रहे हैं। विपक्ष और सदन के अध्यक्ष के बीच विवाद अक्सर सुनाई देता है। विपक्षी आरोप लगाते रहते हैं कि अध्यक्ष संसदीय मर्यादा का पालन नहीं कर रहे हैं और सत्ताधारी पार्टी या सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं। लेकिन शायद यह पहला ही मौक़ा है जब मुख्यमंत्री ने अध्यक्ष पर संगीन आरोप लगाए।

बिहार के जातीय समीकरणों के हिसाब से नीतीश कुमार बीजेपी के लिए एक मजबूरी हैं। अति पिछड़ों और अति दलितों का समर्थन अभी भी नीतीश के साथ है। 2020 के चुनावों में नीतीश के विधायकों की संख्या कम ज़रूर हुई लेकिन नीतीश के समर्थन के बिना बीजेपी 74 सीटें जीतने की उम्मीद नहीं कर सकती है।
इस घटना ने सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अंतर्कलह को एक बार फिर सामने ला दिया है। ऐसा लग रहा है कि यह दोनों पार्टियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई का एक हिस्सा है जिसकी शुरुआत 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद ही हो गयी थी। इस चुनाव में बीजेपी को 74 और जेडीयू को 43 सीटें मिली थीं। चुनाव पूर्व वादे के मुताबिक़ बीजेपी ने नीतीश को मुख्यमंत्री तो बना दिया लेकिन बीजेपी के स्थानीय नेताओं को ये फ़ैसला पचा नहीं। उसके बाद से ही कोई न कोई विवाद खड़ा होता रहता है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक