500 से ज़्यादा शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज यानी TISS के एक अध्ययन की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि टीआईएसएस का माइग्रेशन अध्ययन चुनाव से पहले मतदाताओं के ध्रुवीकरण के लिए किया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि यह अध्ययन हाशिए पर पड़े समुदायों को बदनाम करने और मुंबई में प्रवासियों के खिलाफ़ हिंसा भड़काने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है।
500 शिक्षाविदों ने TISS के प्रवासन अध्ययन को खारिज किया- 'पक्षपातपूर्ण'
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- 20 Nov, 2024
शिक्षाविद, शोधकर्ता और बुद्धिजीवी टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज यानी TISS के ताज़ा अध्ययन 'मुंबई में अवैध अप्रवासी: सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिणामों का विश्लेषण' का विरोध क्यों कर रहे हैं?

इस बयान को शिक्षा जगत, मीडिया, कला और नागरिक समाज के प्रमुख लोगों ने जारी किया है। इस बयान पर 500 से अधिक हस्ताक्षर करने वालों में प्रोफेसर अपूर्वानंद, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जयति घोष, राजनीतिक वैज्ञानिक ज़ोया हसन, गीता शेषु, द हिंदू के जिया उस सलाम, अर्थशास्त्री रितु दीवान, हर्ष मंदर, सेड्रिक प्रकाश, पीपुल्स वॉच के हेनरी टीफाग्ने, फिल्म निर्माता आनंद पटवर्धन, कलाकार दानिश हुसैन, क्यूरेटर रियास कोमू, समाज विज्ञानी सरोजिनी एन, समाजशास्त्री रवि दुग्गल और जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर मोहन राव जैसे एक्टिविस्ट, बुद्धिजीवि और पत्रकार शामिल हैं।