चंद्रमा पर 2019 में भारत का चंद्रयान-2 नहीं उतर पाया, लेकिन कहा जाता है कि इसने अब चंद्रयान-3 की सुरक्षित लैंडिंग के लिए बड़ी सीख दी है। 2019 में जो खामियाँ दिखीं उनको दूर करते हुए अब चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजा गया है। तो सवाल है कि इसमें आख़िर वो क्या उपाय किए गए हैं कि वह चंद्रयान-2 में किए गए उपायों से अलग है?
चंद्रयान-3 की सुरक्षित लैंडिंग के लिए क्या उपाय किए गए?
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- 23 Aug, 2023
चंद्रयान-3 से देश ही नहीं दुनिया भर के लोगों को काफ़ी उम्मीदें हैं। इन उम्मीदों के पीछे वजह भी है। जानिए, आख़िर इन उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए इस बार सुरक्षा के क्या-क्या इंतज़ाम किए गए हैं।

यह सवाल इसलिए कि यान को चंद्रमा पर उतारना ही सबसे जटिल काम है। कुछ दिन पहले ही रूसी अंतरिक्ष यान लूना-25 आख़िर में चंद्रमा की सतह से टकराकर ध्वस्त हो गया। 2019 में भी भारत के चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर सॉफ्ट लैंड नहीं कर पाया था। दरअसल, अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की सतह पर उतरने में लगने वाला क़रीब 15 मिनट के समय को 'आतंक के 15 मिनट' कहा जाता है। यह बेहद ही अहम क्षण होता है।