कृषि क़ानूनों के वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन ने जाति और धर्म की बाधाओं को तोड़ कर लोगों को एकजुट कर दिया है। इसके अलावा, इन्होंने राजनेताओं को इस मामले से दूरी बनाये रखने के लिए कहा है।
किसान आन्दोलन : विनाश काले विपरीत बुद्धि
- देश
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- 31 Jan, 2021

अधिकारीगण इंग्लैंड के किंग कैन्यूट की तरह व्यवहार कर रहे हैं, जिन्होंने ज्वार की लहरों को चले जाने के लिए कहा था। सत्ता प्रतिष्ठान के लोग अपने गोएबेल्सियन प्रचार द्वारा (जो बेशर्म ‘गोदी मीडिया के माध्यम से फैलाई गया) किसानों को खालिस्तानी, पाकिस्तानी, माओवादी, देशद्रोही आदि के रूप में चित्रित करने की कोशिश की, लेकिन इसका विश्वास किसी ने नहीं किया।
दिल्ली के ग़ाज़ीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर इंटरनेट और टेलीफ़ोन सेवाओं को अधिकारियों ने बंद कर दिया है। वे शायद समझते हैं कि ऐसा कर किसान आन्दोलन को दबा देंगे। लेकिन मेरी राय में यह केवल स्थिति को और भयावह बनाएगा और बिगाड़ेगा।
किंग कैन्यूट की तरह व्यवहार कर रही है सरकार?
अधिकारीगण इंग्लैंड के किंग कैन्यूट की तरह व्यवहार कर रहे हैं, जिन्होंने ज्वार की लहरों को चले जाने के लिए कहा था। सत्ता प्रतिष्ठान के लोग अपने गोएबेल्सियन प्रचार द्वारा (जो बेशर्म ‘गोदी मीडिया के माध्यम से फैलाई गया) किसानों को खालिस्तानी, पाकिस्तानी, माओवादी, देशद्रोही आदि के रूप में चित्रित करने की कोशिश की, लेकिन इसका विश्वास किसी ने नहीं किया।