loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

जम्मू-कश्मीर 90 / 90

कांग्रेस-एनसी
49
बीजेपी
29
पीडीपी
3
अन्य
9

हरियाणा 90 / 90

कांग्रेस
37
बीजेपी
48
जेजेपी
0
इनेलो
2
अन्य
3

चुनाव में दिग्गज

उमर अब्दुल्ला
NC - गांदरबल

जीत

उमर अब्दुल्ला
NC - बडगाम

जीत

जम्मू-कश्मीर चुनाव के बीच फारूक अब्दुल्ला के ख़िलाफ़ कोर्ट क्यों पहुँची ईडी?

जम्मू कश्मीर में चुनाव के बीच ईडी फारूक अब्दुल्ला के ख़िलाफ़ अदालत पहुँची है। इसने श्रीनगर की एक विशेष अदालत में याचिका दायर की है। इसमें जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन यानी जेकेसीए मामले में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ नए आरोपों का संज्ञान लेने का आग्रह किया गया है। इसी मामले में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने हाल ही में ईडी के मामले को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह ईडी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। तो सवाल है कि आख़िर अब ईडी क्यों नये सिरे से आरोप लगा रही है?

दरअसल, फारूक अब्दुल्ला के ख़िलाफ़ यह मामला जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़ा है। ईडी ने पैसे की कथित हेराफेरी का आरोप लगाया है। आरोप है कि एसोसिएशन के पदाधिकारियों सहित विभिन्न लोगों के व्यक्तिगत बैंक खातों में पैसे भेजे गए।

ताज़ा ख़बरें

बीसीसीआई ने 2001 से 2012 के बीच जम्मू-कश्मीर में क्रिकेट के विकास के लिए जेकेसीए को 112 करोड़ रुपये दिए थे। सीबीआई द्वारा पदाधिकारियों के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर करने के बाद 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग जाँच शुरू हुई। तब फारूक अब्दुल्ला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। उनके ख़िलाफ़ 2022 में केंद्रीय एजेंसी द्वारा आरोप पत्र दायर किया गया था। उनके ख़िलाफ़ आरोप पत्र में दावा किया गया है कि क्रिकेट संघ के प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अब्दुल्ला ने खेल के विकास के नाम पर प्राप्त पैसे का दुरुपयोग किया और इसे व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल किया।

पिछले महीने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने फारूक अब्दुल्ला और जेकेसीए के कुछ अन्य पूर्व पदाधिकारियों के ख़िलाफ़ धन शोधन निवारण अधिनियम यानी पीएमएलए के तहत ईडी द्वारा दायर आरोपपत्र को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि केंद्रीय एजेंसी के पास इस मामले में अधिकार क्षेत्र नहीं है। अदालत ने कहा था कि ईडी का मामला सीबीआई के आरोपपत्र पर आधारित था, जिसमें आरोपियों पर आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक साजिश के लिए मुकदमा चलाया गया था। अदालत ने कहा कि मुख्य अपराध आपराधिक विश्वासघात था, जो पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराध नहीं है।

हालाँकि, अदालत ने ईडी को यह छूट दी कि अगर उसे लगता है कि पीएमएलए के तहत कोई पूर्वनिर्धारित अपराध किया गया है तो वह नई एफ़आईआर दर्ज कर सकता है। पीएमएलए में एक अनुसूची है जिसमें उन अपराधों की सूची दी गई है जिनके लिए मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच की जा सकती है।
जम्मू-कश्मीर से और ख़बरें

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पिछले हफ़्ते दायर की गई एक नई याचिका में ईडी ने कहा है कि सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता (या रणबीर दंड संहिता) की धारा 411 का इस्तेमाल नहीं किया, जिसमें पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराध शामिल है। इसने अदालत से सीबीआई और ईडी द्वारा दिए गए साक्ष्यों के आधार पर संज्ञान लेने का आग्रह किया है। अगर अदालत संज्ञान लेती है तो ईडी फारूक अब्दुल्ला के ख़िलाफ़ या तो एक नया मामला दर्ज कर सकती है या फिर एक और आरोपपत्र दाखिल कर सकती है।

अपने पहले के आरोपपत्र में ईडी ने कहा था कि 2006 से जनवरी 2012 के बीच जब फारूक अब्दुल्ला जेकेसीए के अध्यक्ष थे, उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करके पदाधिकारियों की अवैध नियुक्तियाँ कीं, जिन्हें उन्होंने धन शोधन के उद्देश्य से वित्तीय अधिकार दिए। चार्जशीट में कहा गया था, 'जांच से यह भी पता चला है कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला जेकेसीए के धन शोधन के मामले में मुख्य व्यक्ति होने के साथ-साथ लाभार्थी भी थे।' साथ ही यह भी कहा गया कि जेकेसीए के खजाने से 45 करोड़ रुपये निकाले गए।

ख़ास ख़बरें

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 ख़त्म होने के साथ ही 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। राज्य में चुनाव तीन चरणों में 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को होगा और आठ अक्टूबर को मतों की गिनती होगी। पहले चरण के चुनाव में अब सिर्फ एक हफ़्ते का समय ही बचा है। 

राज्य में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन में चुनाव लड़ रही हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस कुल 90 में से 51 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि कांग्रेस 31 सीटों पर। कहा जा रहा है कि इस गठबंधन का इस चुनाव में पलड़ा भारी है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

जम्मू-कश्मीर से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें