एक तरफ़ चकाचौंध भरी दुनिया में उम्मीदें लिए लोग खुद को खपा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ़ घुप अंधेरा लिए एक ऐसी भी दुनिया है, जहाँ बुनियादी ज़रूरतों को लेकर लंबा संघर्ष चल रहा है। यह संघर्ष पेट की आग बुझाने का है, न्याय पाने का है, अधिकारों के लिए लड़ने का है, हाशिए से आगे बढ़ मुख्यधारा से जुड़ने का है, लेकिन ये चीजें इतनी आसान नहीं हैं। 21वीं सदी का भारत अब भी इन मुद्दों को लेकर संघर्षरत है। न्यू इंडिया का नारा भले ही उत्साहित करने वाला हो, लेकिन असल भारत की तसवीर इससे मेल नहीं खाती, बल्कि एक भयावह सच से सामना कराती है।