ऊपर से देखने से लगता है कि टीआरपी के खेल ने न्यूज़ चैनलों को अराजक और ग़ैर-ज़िम्मेदार बना दिया है। मगर सचाई यह है कि इसमें सरकारों का भी बहुत बड़ा हाथ है। बल्कि अगर यह कहा जाए कि वे इसके लिए सबसे बड़ी ज़िम्मेदार हैं तो ग़लत नहीं होगा। आख़िरकार बाज़ारवाद को फैलाने और मनमानी करने की छूट भी उसी ने दी है। उसने उसे नियंत्रित-अनुशासित करने का कोई इंतज़ाम नहीं किया और जो थोड़े-बहुत उपाय किए भी तो उन्हें लागू नहीं किया।