गाँवों में कोरोना फैलने के बाद सबसे बड़ी समस्या ये सामने आ रही है कि कैसे पता लगाया जाए कि किसी शख़्स को कोरोना है या नहीं। आरटी -पीसीआर या एंटीजन जाँच की सुविधा गाँवों में नहीं है। ये समस्या बड़े शहरों में भी है क्योंकि जाँच की लाइन इतनी लंबी है कि लोगों को दो-तीन दिनों तक सैम्पल लेने और जाँच रिपोर्ट आने का इंतज़ार करना पड़ रहा है। तब तक बहुत देर हो जाती है और समय पर इलाज शुरू नहीं होने के कारण कई लोगों की ज़िंदगी ख़तरे में पड़ जाती है।

कोरोना के इलाज के लिए इस समय कई ख़तरनाक सुझाव दिए जा रहे हैं। कुछ लोग प्रचारित कर रहे हैं कि पीपल या बड़ के पेड़ के नीचे बैठने से पर्याप्त ऑक्सीजन मिल जाएगी। बिहार में भागलपुर मेडिकल कॉलेज के प्रोफ़ेसर डॉ. हेम शंकर शर्मा कहते हैं कि इस तरह के प्रयोग ख़तरनाक हो सकते हैं।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक