कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई मनरेगा योजना के लिए फंड को लगातार कम क्यों किया जा रहा है? जानिए इस योजना के बारे में पीएम मोदी ने 2015 में क्या कहा था।
रामचरितमानस को लेकर पहले बिहार में आरजेडी नेता ने और फिर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता ने टिप्पणी की। इस पर विवाद हुआ। तो विवाद से आख़िर किसे फायदा होगा?
ऐसे दौर में जब गांधी जी के हत्यारे और आतंकवादी गोडसे को उनके समकक्ष खड़ा किया जा रहा हो, ऐसे में बीबीसी के पूर्व संपादक शिवकांत ने गांधी जी के बहुआयामी व्यक्तित्व का जिक्र किया है। शिवकांत के विचार इसलिए पढ़े जाने चाहिए, ताकि गांधी को गोडसे की संतानों के दौर में आसानी से समझा जा सके।
बीजेपी-आरएसएस को मुगल शब्द से चिढ़ है। अंग्रेजों की बनाई बिल्डिंग में उद्यान का नाम सिर्फ मुगलों के नाम पर है। मुग़ल गार्डन का नाम बदलना बताता है कि यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सपनों के भारत की हत्या का प्रयास है। नेताजी का नाम जपना बस इस गुनाह को छिपाने की कोशिश है।
नाम बदलने से इतिहास नहीं बदलता। गुलामी की प्रतीक चीजों को कहां तक मिटाया जा सकेगा। क्या कुछ प्राचीन इमारतों को गुलामी का प्रतीक मानकर गिरा दिया जाएगा और गिराने वाले सोचते हैं कि इतिहास से नाम मिट गया। वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार बता रहे हैं कि नाम बदलने की यह सक्रियता मुख्य धारा की मीडिया के दम पर है इसलिए नाम बदलने की सियासत का परचम लगातार लहराता दिख रहा है।
बार-बार हिंदू राष्ट्र का नारा क्यों लगाया जाता है? क्या देश की आज़ादी में कुर्बानी देने वाले महापुरुषों ने कभी सपने में भी 'हिंदू राष्ट्र' की बात सोची होगी?
आज गणतंत्र दिवस पर संविधान को बचाने की शपथ लेने का दिन है। आज यह जानना भी जरूरी है कि संविधान बनने के लिए डॉ आंबेडकर ने अपने पहले भाषण में क्या कहा था। सत्य हिन्दी बाबा साहेब के उस भाषण को हूबहू प्रकाशित कर रहा है।
आज गणतंत्र दिवस है। आज भारतीय लोकतंत्र पर गर्व करने का दिन है लेकिन भारत के लोकतंत्र की मौजूदा स्थिति क्या है? इस पर जरा नजर डालिए। वरिष्ठ पत्रकार और सत्य हिन्दी के संपादक आशुतोष ने भारतीय लोकतंत्र के हालात पर तीखी नज़र डाली है। पढ़िएः
राजनीतिक दल बेरोजगारी पर वादा करते हैं, सवाल खड़े करते हैं और जब सत्ता मिलती है तो उसी सवाल से भाग खड़े होते हैं। नरेंद्र मोदी से लेकर तेजस्वी यादव तक यही भयावह सच है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संदेश दिया था कि वे मुसलमानों को लेकर अनावश्यक बयानबाजी न करें। प्रियदर्शन ने इस बात पर टिप्पणी की है कि पीएम मोदी ने जो संदेश दिया, क्या वो उनकी सरकार में भी दिखता है, उनकी सरकार का मुस्लिमों को लेकर क्या रवैया है।
इंग्लैंड में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ प्रसारित हो रही है तो भारत में ‘गांधी गोडसे एक युद्ध’ 26 जनवरी को रिलीज हो रही है। एक भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो दशक पहले गुजरात दंगे में बतौर सीएम उनकी भूमिका को लेकर सवालों के कठघरे में खड़ा करता है। तो, दूसरा 1948 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को महिमामंडित करता है।
बहुध्रुवीय विश्व की वकालत करने वालों के नायक अब तानाशाह हो गए हैं और वे ग्लोबल फासीवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। इनकी भाषा को समझिए। लोकतंत्र पर हमला अब साम्राज्यवाद के खिलाफ जंग की शक्ल में पेश किया जा रहा है। एक्टिविस्ट कविता कृष्णन के इस लेख को पढ़ने से आपको लोकतंत्र के नाम पर की जा रही तानाशाही की वकालत को समझने का नया नजरिया मिलेगा। जरूर पढ़िएः