समय के साथ वैश्विक समाज ने अपनी खोजपरक चेतना विकसित की, तर्क-शक्ति को अदृश्य के खौफ से निकाल कर वैज्ञानिक धार दी और व्यक्ति और व्यक्ति के बीच हीं नहीं, व्यक्ति और अन्य प्राणियों के बीच स्थूल विभेद और शोषण को कम करना न्यायोचित बनाया। विश्व बंधुत्व से लेकर मार्क्सवाद के स्टेट सोशलिज्म (और अंततः राज्यविहीन समाज की परिकल्पना) समतामूलक अवधारणा और वर्तमान में कल्याणकारी राज्य और न्याय पद्धति को बदल दिया।
भारतीय नेताओं के हास्यास्पद कुतर्क
- विचार
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- 30 May, 2025

भारत में तमाम मुद्दों पर आपकी राय कुछ भी हो लेकिन नेताओं के कुतर्क कुछ और ही होते हैं। वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह ने कुछ नेताओं के कुतर्क तलाशे हैं। आप भी उनके इस लेख से कुछ नेताओं के कुतर्कों को जान सकते हैं।