उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बसौड़ा गांव के बृजेश केवट ने कुल्हाड़ी से अपनी पत्नी का सिर काट डाला। पत्नी का शव अपने घर में ही गाड़ दिया और उसका कटा सिर कुलदेवी के समीप ले जाकर ज़मीन में दबा दिया। बृजेश तांत्रिक था। उसने यह सब किसी तरह की कथित सिद्धि हासिल करने के लिए किया। हाल के महीनों में इस तरह की तमाम घटनाएं सामने आई हैं। इस तरह के जो भी मामले आते हैं, वे ज्यादातर दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग से जुड़े परिवारों के होते हैं।
21वीं सदी में भी जादू-टोना, तंत्र-मंत्र के नाम पर हो रही हत्याएं, उत्पीड़न
- विचार
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- 5 Sep, 2020

देश में जादू-टोना, इज्जत बचाने के नाम पर उत्पीड़न और हत्याएं आम हैं और अशिक्षा, धार्मिक मान्यताएं, अंधविश्वास इसमें अहम भूमिका निभाते हैं।
यह इकलौती घटना नहीं है, जो आदिवासी बहुल पिछड़े जिले सोनभद्र में हुई है। महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाएं भयावहता के चरम पर हैं। लॉकडाउन के कारण दहेज और विवाह करने के खर्च में कमी आई तो लोग कम उम्र की लड़कियों का विवाह करने लगे।
महाराष्ट्र में दहेज घटने की वजह से बाल विवाह में तेजी आ गई। मई से जुलाई के बीच सरकार की नोडल एजेंसी चाइल्डलाइन के पास बच्चियों के उत्पीड़न के 93,203 मामले आए, जिनमें से 5,584 मामले बाल विवाह से जुड़े थे। इसके पीछे कोविड-19 के बाद लोगों की खराब होती आर्थिक दशा को अहम कारण माना जा रहा है।