गोरखपुर शहरी सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने बहुत सोच समझकर मैदान में उतारने का फैसला किया है। इसे यूं भी कह सकते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने बहुत सोच समझकर गोरखपुर शहरी सीट से लड़ने का फैसला किया है। अयोध्या और मथुरा बेशक धार्मिक शहर हैं लेकिन वहां इसके बावजूद रिस्क था, जबकि गोरखपुर शहरी सीट का इतिहास ऐसा है कि वहां से योगी के लड़ने में कोई रिस्क नहीं है।
गोरखपुर शहरी सीट बीजेपी का अजेय किला, योगी ने भी नहीं लिया रिस्क
- राजनीति
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- सत्य ब्यूरो
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- 15 Jan, 2022
योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने गोरखपुर शहरी क्षेत्र से बहुत सोच समझकर उतारा है। वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। अन्यथा जिस जोरशोर से अयोध्या और मथुरा का प्रचार हुआ था और पार्टी के नेता इसे हिन्दूवादी राजनीति के लिए मास्टरस्ट्रोक बता रहे थे, वे रिस्क फैक्टर के चलते पीछे हट गए। जानिए पूरी रिपोर्ट

गोरखपुर शहरी सीट बीजेपी और हिन्दू महासभा का गढ़ रही है। 2002, 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में डॉ. राधा मोहन अग्रवाल ने यहां से लगातार चार बार जीत दर्ज की है। करीब साढ़े चार लाख मतदाताओं वाला यह विधानसभा क्षेत्र गोरक्षनाथ मंदिर की वजह से बीजेपी का अजेय किला बना हुआ है। यह भी ऐतिहासिक तथ्य है कि समाजवादी पार्टी यहां दूसरे नंबर पर रहती है। 2002 में डॉ अग्रवाल हिन्दू महासभा के प्रत्याशी थे और जीते थे। 2007 में बीजेपी के डॉ अग्रवाल ने सपा के भानुप्रकाश मिश्रा को हराया था।
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