असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में सिर्फ़ एक सीट पर चुनाव लड़ी थी। उसके उम्मीदवार को क़रीब 3 लाख वोट मिले थे और वह तीसरे स्थान पर रहे थे। लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार ने वह सीट जीत ली थी। यदि इस बार ओवैसी की पार्टी कई सीटों पर चुनाव लड़ती है तो क्या 2019 जैसा नतीजा निकलेगा? समझा जाता है कि ओवैसी की पार्टी तेलंगाना और महाराष्ट्र के साथ ही हिंदी प्रदेशों- उत्तर प्रदेश और बिहार में अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। तो क्या यह इंडिया गठबंधन के लिए चिंता की बात होनी चाहिए? आख़िर इसका असर क्या हो सकता है?