बहुत लोगों को शायद याद होगा कि आपातकाल के बाद 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार आई थी, तो इसे 'दूसरी आजादी' कहा गया था, हालांकि यह जितनी तेजी से आई थी, उतनी ही तेजी से चली गई। 1980 में ही 'दूसरी आजादी' की जगह फिर से पहली आजादी ने ले ली। तब से 'तीसरी आजादी' की तलाश थी, जो अब जाकर सफल हुई -सी लगती है। अब पता चल रहा है कि भारत न तो 1947 में आजाद हुआ था, न 1977 में उसे 'दूसरी आजादी' मिली थी! बकौल कंगना रनौत भारत तो 2014 में आजाद हुआ था मगर बाद में पता चला, यह भी गलत था। भारत तो इसके भी दस साल बाद 2024 में तब आजाद हुआ, जब माननीय जी ने राममंदिर में राम की मूर्ति की 'प्राण-प्रतिष्ठा' की! मंदिर ही देश है, मंदिर ही सच्ची आजादी! इसे अब 'असली आज़ादी' बताया जा रहा है। दिल थाम कर बैठिए। इस सरकार के समय दस साल के अंतर से दो आज़ादियाँ आ चुकी हैं तो तीसरी भी आएगी और क्या पता चौथी और पांचवीं भी आ जाए! मोदी है तो मुमकिन है। अब आजादी लाने के लिए केवल जबान चलाने की ज़रूरत है, चाहो तो रोज लाओ! सुबह एक लाओ, शाम को दूसरी लाओ और मन करे तो दोपहर को भी एक ले आओ! घर की खेती है।