सुधा मूर्ति बड़ा नाम है। इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन और परोपकारी हैं। बड़ी उपलब्धि वाली हैं और धनाढ्यों में गिनी जाती हैं। लेकिन उनकी कुछ पुरानी तसवीरों के बाद से सोशल मीडिया पर एक नयी बहस छिड़ गई है। बहस यह छिड़ी है कि इस जमाने में भी राजशाही को सम्मान देने का वही पुराना तरीक़ा कायम है? क्या अकूत संपत्ति वाले और बड़ी उपलब्धि वाले लोगों का सम्मान देने का यह अपना तरीक़ा है या सामंतवादी सोच वाले समाज या जमाने की एक झलक?
सुधा मूर्ति की तसवीरों से लोगों को पुरानी राजशाही क्यों याद आई?
- सोशल मीडिया
- |
- 29 Sep, 2022
लेखिका, शिक्षिका, सामाजिक कार्यकर्ता, परोपकारी उद्यमी सुधा मूर्ति की पुरानी तसवीरें अब क्यों सोशल मीडिया पर साझा की जा रही हैं? जानिए वजह।

दरअसल, अभी जो तसवीरें सोशल मीडिया पर तैर रही हैं उसमें सुधा मूर्ति मैसूरु शाही परिवार की सदस्य प्रमोदा देवी वाडियार के सामने झुकती हुई दिखाई दे रही हैं। हालाँकि, बड़ी संख्या में लोग अब उस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, लेकिन वह तसवीर है पुरानी। कम से कम उस तसवीर को 2019 में तो ट्विटर पर ही पोस्ट किया गया था। रिपोर्ट है कि सुधा मूर्ति को तब मैसूर राज्य के अंतिम शासक जयचमराजा वाडियार के जन्म शताब्दी समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। प्रमोदा देवी वाडियार श्रीकांतदत्त नरसिम्हाराजा वाडियार की पत्नी हैं।