प्रधानमंत्री ने एक बार फिर से 71000 नियुक्तियों या नौकरियों के नियुक्ति पत्र बांटे हैं। अभी जनवरी में भी ऐसा ही आय़ोजन हुआ था। पीएम ने वादा किया है कि 2024 तक 10 लाख नौकरियां दी जाएंगी। तो क्या इन रोजगार मेलों का मकसद नौकरियां देना है या फिर 2024 के लोकसभा चुनाव से इसका कोई संबंध है। इन्हीं सवालों को तलाशती यह रिपोर्टः
अमेरिका सहित दुनिया भर में आर्थिक मंदी की आहट और कई कंपनियों में छँटनी के बीच अब मैकडॉनल्ड्स में ऐसी ही तैयारी है। जानिए, अमेरिका में इसके सभी कार्यालय अस्थायी तौर पर बंद क्यों किए गए।
मंदी की आशंकाओं के बीच बहुराष्ट्रीय कंपनियों में छँटनी की जा रही है और इसका असर अमेरिका में आईटी कंपनियों में ज़्यादा हुआ है। जानिए इससे भारतीयों के सामने क्या परेशानी आई।
लीजिए, अब मोदी सरकार ने ही रोजगार देने के अपने दावे और हकीकत को साफ कर दिया है। हर साल करोड़ों नौकरी नहीं मिली, लाखों भी नहीं! तो जानिए क्या हाल हुआ रोजगार का देश में।
कोविड-19 महामारी के बाद की कमज़ोरी दूर होने का नाम ही नहीं ले रही। शरीर पर असर हो, हमारे काम धंधों पर असर हो या देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था पर। सबसे बड़ा संकट तो रोज़गार के बाज़ार में दिख रहा है।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी बुलेटिन। CMIE: दूसरी लहर में 1 करोड़ से अधिक लोगों की नौकरी चली गई। कई जगह 101 के करीब हुई पेट्रोल की कीमत, 17वीं बार बड़े दाम। देखिए शाम तक की ख़बरें -
जुलाई में पचास लाख लोगों की नौकरी गई? अप्रैल से अब तक 1.9 करोड़ की! और कितने बेरोज़गार होंगे? किसका काम बचेगा, किसका जाएगा? भारत की सबसे बड़ी स्टाफिंग कंपनी टीमलीज़ के चेयरमैन मनीष सभरवाल से आलोक जोशी की बातचीत। Satya Hindi
लॉकडाउन के दौरान लगातार लोगों का रोज़गार छिन रहा है। और अब ये आँकड़ा बढ़कर 67 फ़ीसदी हो गया। अज़ीम प्रेम जी यूनिवर्सिटी के द्वारा सिविल सोसाइटी की 10 संस्थाओं के साथ किए गए सर्वे में यह जानकारी सामने आई है। Satya Hindi