संसद प्रधानमंत्री से बड़ी है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू यह लकीर खींच कर जा चुके हैं। भाजपाई कुनबा उस लकीर को मिटाना चाहता है, उसके सामने संसद की गरिमा का कोई महत्व नहीं है। वो संसदीय लोकतंत्र को तार-तार करना चाहता है। संदीप सिंह को पढ़िएः
लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद मोदी सरकार ने खाली रखा हुआ है। इस पर चुनाव नहीं कराया जा रहा है। आखिर मोदी सरकार ऐसा क्यों कर रही है। क्या इससे संविधान की गरिमा बनी रहेगी। ऐसे ही सवालों की पड़ताल वरिष्ठ पत्रकार वंदिता मिश्रा ने की हैः
संसद में कौन से शब्द बोले जाएंगे और कौन से शब्द नहीं बोले जाएंगे, इस पर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने स्थिति साफ कर दी है। उन्होंने कहा कि किसी भी शब्द बोलने पर रोक नहीं लगाई गई है।