बिरजा एक महिला चरित्र है। धर्मवीर भारती की कहानी `बंद गली का आखिरी मकान’ की। वो कोई हिंदी साहित्य के कहानी जगत की बड़ी  या यादगार चरित्र नहीं है। परित्यक्ता है। दो बेटों की मां है जिसे उसे पति ने घर से निकाल दिया है। पति के घर से निकाले जाने के बाद उसे अपने घर में पनाह देते हैं मुंशी जी, जो कचहरी में ताईदी करते हैं। मुंशी जी कायस्थ और बिरजा ब्राह्मण। मुंशी जी अविवाहित और उम्र प्रौढ़ता प्राप्त। स्वाभाविक है पारंपरिक भारतीय समाज में बिरजा और मुंशी के बारे में कई सवाल उठते हैं। फिर भी मुंशी जी का बड़प्पन कि बिरजा और उसके दोनों बेटों की अच्छी परवरिश करने की कोशिश करते हैं। पर बीमारी ग्रस्त बुढ़ापा धीरे धीरे घेरता जाता हैं। रिश्तेदारों के लांछन भी बढ़ते जाते हैं। और जब मुंशी जी के भीतर का पंछी उड़ता है तो उस आखिरी वक्त में बिरजा भी उनके पास नहीं होती।