आज की औरत की क्या चाहत हो सकती है? इसका कोई सीधा और सरल उत्तर नहीं हो सकता। लेकिन मोटे तौर पर ये कहा जा सकता है कि शादी की इच्छा तो हर औरत को होगी। (ये ध्यान में रखते हुए कि ये ज़रूरी नहीं कि हर लड़की चाहे ही कि वो शादी करे।) लेकिन लोग कहेंगे कि ये तो सदियों पुरानी चाहत है। इसमें नया क्या है? ये आज की नारी पर ही क्यों लागू होगा? ऐसे में इतना जोड़ना ज़रूरी होगा कि आज की औरत अपने मन के मुताबिक़ पुरुष चाहती है। पहले की तरह नहीं कि जिस खूँटे से बांध दो, चलेगा। वो अपनी पसंद का पति चाहती है। पर प्रश्न ये भी खड़ा हो जाता है कि जो सामाजिक स्थितियां हैं उसमें क्या किसी सामान्य घर की लड़की को मनचाहा पति मिल सकता है? समाज में कई तरह की आर्थिक और राजनैतिक जटिलताएँ हैं और वो ऐसी हैं कि किसी औरत की आकांक्षा को लहूलुहान कर सकती है। छोटी इच्छा बड़ी समस्या बन सकती है।
आज की औरत की आकांक्षा और कबीर
- विविध
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- रवीन्द्र त्रिपाठी
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- 27 Feb, 2025


रवीन्द्र त्रिपाठी
नुपूर चिताले के नाटक 'जलेबी' में आधुनिक महिला की आकांक्षाओं और समाज में उसकी भूमिका को कबीर के विचारों से जोड़ा गया है। पढ़िए, रवींद्र त्रिपाठी की टिप्पणी।
कुछ साल पहले ही राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक हुई नुपूर चिताले ने इसी मसले को लेकर `जलेबी’ नाम से एक नाटक किया। ये हाल ही में हुए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय छात्र संघ की तरफ़ से आयोजित नाट्य समारोह में खेला भी गया। ये एक एकपात्रीय नाटक है जिसमें खुशबू कुमारी नाम की अभिनेत्री ने जया लेखी नाम की एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया जो बिहार की रहनेवाली है और पसंदीदा शादी करना चाहती है। पर उसकी ये चाहते पूरी नहीं होती। हालाँकि अपनी पसंद का लड़का या पति तलाश करते-करते वो बिहार से मुंबई पहुंच जाती है। पर वहां भी वो सफल नहीं हो पाती और एक आपराधिक मामले में फँस जाती है। उसके सपने चकनाचूर हो जाते हैं। (वैसे प्रसंगवश ये भी बता दिया जाए कि खुशबू कुमारी भी राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्नातक रह चुकी है।)