जानना या मानना? इंसान होने की शर्त क्या है? किसी ने कहा, मैं सोचता हूँ, इसलिए मैं हूँ। यानी, इंसान होने का मतलब है सोचने की ताक़त। लेकिन क्या सोचना इतना आसान है? क्या वह अपनेआप ही हो जाता है? जैसे हम साँस लेना सीखते नहीं, वैसे ही? थोड़ा सोचने पर हमें मालूम होता है कि किसी भी विषय पर सोचने के लिए ज़रूरी है उसके बारे में जानना। सिर्फ़ उस विषय के बारे में ही नहीं, उसके दूसरे विषयों से रिश्ते के बारे में भी। इसके मायने यह हुए कि सोचनेवाले हमसे पहले भी हुए हैं और हमारे साथ भी हैं, इस बात को ध्यान में रखकर और उनसे लगातार संवाद करते हुए ही हम सोचने का काम कर सकते हैं।