विवाह का मौसम है। शादियों के न्योते मिल रहे हैं। हाल ही में एक शादी में शामिल होने के बाद सोचना शुरू किया कि क्यों हमने विवाह आदि के आयोजन के तरीक़ों पर बात करना बंद कर दिया है। कुछ समय पहले अपने लिए दो चीज़ें तय की थीं, एक दहेजवाली शादी में शामिल नहीं होना है और दूसरा जनेऊ या यज्ञोपवीत संस्कार में नहीं जाना है। मालूम हुआ कि इस निर्णय की रक्षा करने का मतलब प्रायः किसी भी शादी में न जाना है।