किसी भी कीमत पर व्यक्तिगत या निजी स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए। प्रताप भानु मेहता ने फ्रांस में ‘शार्ली एब्दो’ पत्रिका के द्वारा हज़रत मुहम्मद साहब के कार्टूनों के छापे जाने के बाद हुई हिंसा और फिर उसपर चल रहे विवाद के सन्दर्भ में लिखते हुए इस पर ज़ोर दिया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कोई सीमा नहीं हो सकती।
अभिव्यक्ति स्वतंत्र हो और जिम्मेवार भी
- वक़्त-बेवक़्त
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- 2 Nov, 2020

जिनके पास अभिव्यक्ति के साधन और अवसर हैं, उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ उसके उत्तरदायित्व को भी न भूलना चाहिए। अभिव्यक्ति का मक़सद समाज में एक दूसरे के प्रति सद्भाव पैदा करना, बढ़ाना ही होना चाहिए। एक की अभिव्यक्ति को हमेशा ही दूसरे की अभिव्यक्ति का सहारा बनना चाहिए। उसे वाक् रुद्ध करना नहीं।