आज से केवल छप्पन दिनों के बाद भारत सहित पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाली घटना के परिणामों को लेकर अब हमें भी प्रतीक्षा करना प्रारम्भ कर देना चाहिए। इस बात पर दुःख व्यक्त किया जा सकता है कि मीडिया ने एक महत्वपूर्ण समय में जनता का पूरा ध्यान जान बूझकर ग़ैर ज़रूरी विषयों की तरफ़ लगा रखा है। इस बातचीत का सम्बंध अमेरिका में तीन नवम्बर को महामारी के बीच एक युद्ध की तरह सम्पन्न होने जा रहे राष्ट्रपति पद के चुनावों और जो कुछ चल रहा है उसके साथ नत्थी हमारे भी भविष्य से है।
अमेरिकी चुनाव: ओपिनियन पोल में बाइडन आगे, पर चमत्कार ही हरा सकता है ट्रम्प को
- दुनिया
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- 9 Sep, 2020

ओपिनियन पोल्स में बताया जा रहा है कि जो बाइडन राष्ट्रपति ट्रम्प से आगे हैं पर यह छलावा और भुलावा भी साबित हो सकता है। कोई चमत्कार ही ट्रम्प को हरा सकता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए अगर दो अवधि की संवैधानिक बाध्यता नहीं हो (जैसी कि स्थिति हमारे यहाँ है) तो ट्रम्प भी पुतिन की तरह ही राज करने की क्षमता रखते हैं।
पिछले सितम्बर की ही बात है। अपनी सात-दिवसीय अमेरिका यात्रा के दौरान ह्यूस्टन में आयोजित भव्य ‘हाउडी मोदी‘ रैली में वहाँ के सभी राज्यों से पहुँचे कोई पचास हज़ार लोगों की उपस्थिति से अभिभूत होकर प्रधानमंत्री मोदी ने दस भारतीय भाषाओं में उस देश में बसने वाले भारतीय मूल के लगभग पचास लाख नागरिकों को आश्वस्त किया था कि वे क़तई चिंतित नहीं हों। भारत में सब कुछ ठीक चल रहा है। ‘ऑल इज वेल।’ (देश के एक सौ तीस करोड़ नागरिक ही अब अपने सीने पर हाथ रखकर इस ऑल इज़ वेल‘ की हक़ीक़त बता सकते हैं)। पर यहाँ हमारी बातचीत का सम्बंध किसी और विषय से है।