संजय राय पेशे से पत्रकार हैं और वह समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।
बीजेपी अध्यक्ष रहे मुरली मनोहर जोशी की 1991 की राष्ट्रीय एकता यात्रा के आयोजक नरेंद्र मोदी इसी दौरान जेटली के संपर्क में आये थे।
महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के हज़ारों करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में एक साथ 51 नेताओं पर एफ़आईआर दर्ज की जाएगी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने पाँच दिन में केस दर्ज करने का आदेश दिया।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली व सातारा ज़िले में बाढ़ ने तबाही मचा दी है। क्या यह बाढ़ बेतरतीब ढ़ग से शहरीकरण का नतीजा नहीं है?
9 अगस्त को मुंबई के ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान से ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन की तर्ज पर ‘ईवीएम भारत छोड़ो’ आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस के गढ़ ठाणे, सोलापुर, सातारा, कोल्हापुर में चुनाव से पहले ही भारी भगदड़ मची हुई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इतने बड़े नुक़सान की भरपाई शरद पवार कैसे कर पाएँगे?
क्या विधानसभा का चुनाव जीतने के लिये राज्य की बीजेपी-शिवसेना गठबंधन वाली सरकार सरकारी खजाने से 5000 करोड़ रुपये लुटाने का ‘खेल’ खेलने जा रही है?
भीमा कोरेगाँव में 1 जनवरी 2018 को हुई हिंसा, उससे जुड़े लोगों की गिरफ़्तारी के पीछे अर्बन नक्सल और अब आतंकवादी नेटवर्क की जो बात पुलिस कह रही है, उसके मायने बेहद गंभीर हैं।
क्या अब जनता को आरटीआई उसके अधिकार से दूर रखने के प्रयास किये जा रहे हैं? यह सवाल केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में आरटीआई क़ानून को लेकर पास किये गये संशोधन बिल के बाद खड़े होने लगे हैं।
महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन में मुख्यमंत्री कौन होगा?, एक ऐसा यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर ना तो उद्धव ठाकरे ने कभी खुलकर दिया है ना ही मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने।
कांग्रेस और उसके नेताओं को प्रियंका की तुलना इंदिरा से करने के बजाय संगठन को खड़ा करना होगा, वरना पार्टी को सियासी संकट से निकालना मुश्किल होगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बेचने के साथ-साथ क्या अब सरकार की नज़रें देश में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के पास पड़ी 17 लाख एकड़ अतिरिक्त ज़मीन पर लगी हैं? बाबा रामदेव को महाराष्ट्र सरकार सस्ती ज़मीन क्यों दे रही है?
साल दर साल हादसे पर हादसे और जाँच पर जाँच होती है लेकिन सवाल वही खड़ा रहता है कि ऐसे हादसे कब रुकेंगे?
लोकसभा चुनाव के बाद पचास दिन हो गए लेकिन कांग्रेस अभी तक अपना अध्यक्ष तक नहीं चुन पाई है। राहुल कहते हैं कि वह बीजेपी, संघ से लड़ाई लड़ेंगे, लेकिन आख़िर कब?
शिव कुमार ख़ुद मुंबई आ जायेंगे, इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी और इसे कांग्रेस की बड़ी रणनीति माना जा रहा है।
ऐसी चर्चा है कि राज ठाकरे विधानसभा चुनाव में बैलट पेपर से मतदान कराने की माँग और ऐसा न होने पर चुनाव के बहिष्कार को लेकर आंदोलन छेड़ने वाले हैं?
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्या मामले में बार-बार जाँच एजेंसियों को देरी या निष्क्रियता को लेकर डाँट लगाती रही अदालत ने अब सत्ताधारी दल और सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने पूछा क्या राज्य सरकार राज्य में ऐसा ही चलते रहने देना चाहती है?
देश को 2025 तक पाँच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का दावा करने वाली सरकार रोज़गार के मुद्दे पर चुप है। आख़िर बग़ैर रोज़गार बढ़ाए यह लक्ष्य हासिल कैसे होगा?
राहुल गाँधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के साथ ही कई तरह के सवाल भी उठाये हैं। उन्होंने पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं पर भी कटाक्ष किया है।
प्रधानमंत्री मोदी की स्मार्ट सिटी की घोषणा को छोड़ दें तो उससे पहले भी मुंबई को कभी हांगकांग तो कभी शंघाई बनाने के सपने दिखाए गए। क्या बारिश के पानी में डूबा शहर स्मार्ट सिटी बन सकता है?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दिए गए आरक्षण को बरक़रार रखा है।
दिसंबर 2018 में गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफ़े ने जहाँ सबको चौंका दिया था अब डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य के इस्तीफ़े ने नया धमाका कर दिया है। कार्यकाल पूरा होने से पहले क्यों दिया इस्तीफ़ा, क्या कोई दबाव था?
‘एक देश-एक चुनाव’ से पहले इस देश को साफ़ और स्वच्छ चुनाव प्रक्रिया की ज़रूरत है जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
शिवसेना को यह दुख हमेशा सालता रहा है कि जिस बीजेपी ने राज्य में शिवसेना का हाथ थाम कर अपनी ज़मीन मज़बूत की, अब वही शर्तों की राजनीति कर रही है। क्या फिर दोनों के बीच कड़वाहट आएगी?
मोदी सरकार इस बार अधिक बहुमत के साथ सत्ता में आयी है। ऐसे में अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या वह पिछली बार की तरह अपने दूसरे कार्यकाल में भी प्राथमिकता ज़मीन अधिग्रहण क़ानून को बदलने को ही देगी?
करोड़ों लीटर पानी खपाकर बीयर बनाने वाले इन कारखानों में इस साल उत्पादन क़रीब 14 फ़ीसदी बढ़ा है। लोगों को पीने का पानी कम मिल रहा है तो शराब कारोबार को पानी ज़्यादा कैसे मिलने लगा?
महाराष्ट्र और केंद्र सरकार में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना पर सवाल उठाए हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि राज़्य में विपक्ष की दोनों पार्टियाँ इस पर अभी तक खामोश क्यों हैं?