loader

बॉम्बे हाईकोर्ट का फ़ैसला, मराठा समुदाय को मिलेगा 12-13% आरक्षण

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दिए गए आरक्षण को बरक़रार रखा है।अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा कि संविधान में भले ही 50% आरक्षण की बात कही गयी है लेकिन अपवादात्मक परिस्थितियों में उसमें बदलाव करने का अधिकार है और राज्य सरकार ऐसा निर्णय कर सकती है। मुंबई उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद प्रदेश में मराठा समाज को आरक्षण देने का रास्ता साफ़ हो गया है। अदालत ने आरक्षण को वैध बताते हुए इसे चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को रद्द कर दिया।
ताज़ा ख़बरें
लेकिन अदालत ने एक शर्त रखी है कि आरक्षण 12 से 13% से ज़्यादा नहीं होना चाहिए।  उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने मराठा समाज को 16% आरक्षण दिया था। प्रदेश में मराठा आरक्षण की माँग साल 1980 से चल रही थी और 2009 के चुनाव में विलासराव देशमुख ने यह घोषणा की थी कि यदि कांग्रेस की सरकार आयी तो मराठा समाज को आरक्षण देने पर विचार किया जाएगा। जस्टिस रंजीत मोरे और भारती डांगरे ने आरक्षण को चुनौती देते वाली याचिका पर यह फ़ैसला सुनाया। याचिका में मराठाओं को आरक्षण देने वाली याचिका को उनके लिए स्थायी बैसाखी बताया गया था। याचिका में यह भी कहा गया था कि यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा किसी भी राज्य में 50 फ़ीसदी से ज़्यादा आरक्षण न देने के फ़ैसले का भी उल्लंघन है।
महाराष्ट्र से और ख़बरें
2009 से 2014 तक विभिन्न राजनीतिक दलों व सत्ताधारी दलों के नेताओं ने यह माँग राज्य सरकार के समक्ष रखी। 25 जून 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मराठा आरक्षण को मंजूरी दे दी। आदेश के अनुसार शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में मराठा समाज को 16% और साथ ही 5% आरक्षण मुसलिम समाज को देने का निर्णय भी किया गया था। लेकिन नवम्बर 2014 में इस आरक्षण को अदालत में चुनौती दी गयी थी। इस दौरान राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ और बीजेपी- शिवसेना की सरकार आ गयी।
कोपर्डी में हुई बलात्कार की घटना के बाद मराठा आरक्षण का यह मुद्दा गरमा गया और प्रदेश भर में मराठा समाज के लोगों ने हर जिला स्तर, संभाग और राज्य स्तर पर मूक मोर्चा निकाला। हर मोर्चे में लाखों की संख्या में युवक-युवती एकत्र होते थे और बिना किसी नारेबाज़ी या प्रदर्शन के अपनी माँगों का ज्ञापन संबंधित अधिकारियों को सौंपते थे। 
बाद में इस आन्दोलन का दूसरा चरण नवम्बर 2018 में शुरू हुआ लेकिन जैसे ही इस चरण में आन्दोलन हिंसक हुआ, 18 नवम्बर 2018 को मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने आनन-फानन में बैठक बुलाकर 16% आरक्षण देने का क़ानून मंजूर कर दिया। लेकिन इसे फिर से अदालत में चुनौती दी गयी। 
6 फ़रवरी 2019 से 26 मार्च तक मुंबई उच्च न्यायालय में हर दिन इस मामले की सुनवाई होती रही। 26 मार्च को इस पर अदालत ने अपना निर्णय आरक्षित कर दिया। ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अदालत ने 27 जून को इस पर अपना फ़ैसला सुनाया। इस मुद्दे पर अदालत में कुल 22 याचिकाएँ दायर हुई थीं जिनमें 16 आरक्षण के समर्थन में तथा 6 उसके विरोध में थीं।

फडणवीस ने किया फ़ैसले का स्वागत

अदालत के फ़ैसले पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में कहा कि अदालत ने 50% से अधिक आरक्षण देने की बात को माना है और यह अच्छा निर्णय है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने इस संबंध में गायकवाड कमीशन की विस्तृत रिपोर्ट बनवाई थी और उसका असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में नियम बनाते समय पिछड़ा वर्ग आयोग ने जो जानकारी दी थी उसे भी अदालत ने सही ठहराया है। 
आरक्षण को चुनौती देने वाले अधिवक्ता गुणरत्न सदावर्ते ने कहा है कि वे मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। जब इस मामले की सुनवाई चल रही थी तो सदावर्ते ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश रणजीत मोरे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष न की जाए। हालाँकि उनके अनुरोध को खारिज करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि मराठा आरक्षण के संदर्भ में दाख़िल की गई सभी याचिकाओं की सुनवाई न्यायाधीश रणजीत मोरे और न्यायाधीश भारती डांगरे की खंडपीठ के समक्ष ही होगी।
महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा समाज का बड़ा दख़ल है लेकिन उसके बावजूद इस समस्या को हल करने में क़रीब 40 साल लग गए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस और मनोहर जोशी को छोड़ दें तो महाराष्ट्र में अधिकाँश मुख्यमंत्री मराठा समाज से ही हुए हैं।
प्रदेश में मराठा समाज की जनसंख्या क़रीब 28% के आसपास है लेकिन सरकारी सेवाओं में मराठाओं का प्रतिनिधित्व 6.92% ही है। यही नहीं यदि उच्च शिक्षा के आंकड़ों पर नज़र दौड़ाएँ तो वहाँ भी मराठा पिछड़ते जा रहे हैं। उच्च शिक्षा में मराठा समाज का औसत 4.30 ही है। 
संबंधित ख़बरें
क़रीब 75% मराठा समाज खेती पर निर्भर है।  खेती की बिगड़ती हालत से समाज की आर्थिक स्थिति तेज़ी से बिगड़ी और यही वजह रही कि बड़े पैमाने पर युवा इस आन्दोलन के साथ खड़े हुए और उसे जीतने में सफल हुए। इस फ़ैसले के बाद अब कौन सी पार्टी मराठा समाज को अपनी तरफ़ खींच पाने में सफल होगी यह तो वक्त ही बताएगा क्योंकि जब यह आन्दोलन चल रहा था उस समय बीजेपी-शिवसेना के नेता यह आरोप लगाते रहे थे कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस इसके पीछे खड़ी है।
आरक्षण को देने का फ़ैसला कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुआ था और अब हाई कोर्ट की वैधता बीजेपी सरकार के कार्यकाल में मिली है इसलिए मतों का ऊँट किस करवट बैठेगा यह आने वाला वक्त बतायेगा। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

महाराष्ट्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें