राहुल गाँधी बीस साल से लोकसभा सदस्य हैं, मौजूदा लोकसभा में विपक्ष के नेता और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े एक ऐसे परिवार के वंशज हैं, जिनकी पाँच पीढ़ियों का लेखा-जोखा देश के सामने है। उनके पिता और दादी ने देश की एकता-अखंडता के लिए जीवन क़ुर्बान किया है। फिर भी, उनकी नागरिकता पर बार-बार सवाल उठाए जाते हैं। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी नागरिकता को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया लेकिन याचिकाकर्ता को अन्य क़ानूनी उपाय अपनाने की छूट दे दी। इस मसले पर केंद्र सरकार अदालत को कोई स्पष्ट जवाब देने को तैयार नहीं है तो वजह क्या है? साफ़ लगता है कि सरकार किसी न किसी तरह राहुल गाँधी को घेरे रखना चाहती है। यह उसके डर का नतीजा भी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 5 मई 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। जस्टिस अताउरहमान मसूदी और जस्टिस राजीव सिंह की खंडपीठ ने राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता, कर्नाटक के बीजेपी कार्यकर्ता एस. विग्नेश शिशिर, ने दावा किया था कि राहुल की नागरिकता संदिग्ध है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार याचिकाकर्ता की शिकायत का निपटारा करने के लिए कोई निश्चित समयसीमा नहीं दे सकी, इसलिए याचिका को लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ता को अन्य कानूनी रास्ते अपनाने की छूट दी गई।