नागरिकता विधेयक को लोकसभा से पास हुए एक हफ़्ते हो जाने के बाद भी असम में इसके ख़िलाफ विरोध जारी है। लोगों में डर बैठ गया है कि असम समझौते के तहत असम और स्थानीय लोगों को जो सुरक्षा मिली हुई थी, वह ख़त्म हो जाएगी और वे लोग अपनी ही जमीन पर अल्पसंख्यक हो जाएँगे। एक दूसरा मुद्दा भी है। एक बार नागरिकता विधेयक क़ानून बन गया तो लोगों को संविधान के विपरीत पहली बार धर्म के आधार पर विदेशियों, ग़ैरक़ानूनी प्रवासियों और नागरिकों में बाँट दिया जाएगा।
मोदी सरकार के ख़िलाफ़ असम में एकजुट हो रहे हैं लोग
- असम
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- 5 Feb, 2019


एक ओर जहां नागरिकता विधेयक को क़ानून बनाने की तैयारी चल रही है, असम के मूल निवासी ख़ुद को पहले से अधिक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। क्यां वहा बाहरी लोगों के ख़िलाफ़ वैसा ही माहौल बनता जा रहा है, जैसा तक़रीबन 30 साल पहले असम आंदोलन के दौरान था? बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार समुद्रगुप्त कश्यप।
समुद्रगुप्त कश्यप वरिष्ठ पत्रकार हैं और पूर्वोत्तर समेत तमाम समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।






















