असम को सांप्रदायिक सौहार्द्र वाला राज्य माना जाता है और इस राज्य में सर्व धर्म समभाव की लंबी परंपरा रही है। असम में भूमि और जातीय पहचान को लेकर समय-समय पर भले ही हिंसक संघर्ष होते रहे हैं, लेकिन सांप्रदायिक आधार पर संघर्ष का कोई इतिहास नहीं रहा है।
असम में सांप्रदायिक हिंसा, कोरोना के बावजूद बजरंग दल को रैली की इजाज़त क्यों?
- असम
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- 10 Aug, 2020

असम में जब से उग्र हिन्दुत्व का प्रचार-प्रसार शुरू किया गया और 'बांग्लादेशी मुसलमानों' के नाम पर सभी मुसलमानों के ख़िलाफ़ स्थानीय हिंदुओं की भावना को भड़काने का खेल शुरू हुआ, तब से रह-रह कर तनाव भड़कता रहता है। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद असम में अचानक सांप्रदायिक झड़पों की घटनाएं शुरू हो गईं। 2015 में राज्य में इस तरह की 70 घटनाएं हुईं।
अस्सी के दशक में हुए नेल्ली नरसंहार के पीछे भी दक्षिणपंथियों का हाथ था, जब भारी संख्या में अल्पसंख्यकों की हत्या की गई थी। जिस समय बाबरी मसजिद को ध्वस्त किया गया था, उस समय भी असम में कोई हिंसक तनाव नहीं देखा गया था।
असम में जब से उग्र हिन्दुत्व का प्रचार-प्रसार शुरू किया गया और 'बांग्लादेशी मुसलमानों' के नाम पर सभी मुसलमानों के ख़िलाफ़ स्थानीय हिंदुओं की भावना को भड़काने का खेल शुरू हुआ, तब से रह-रह कर तनाव भड़कता रहता है। इसकी एक बानगी बुधवार को देखने को मिली।