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बीजेपी विधायक शिलादित्य देव।

असम हिंसा: बीजेपी विधायक का भड़काऊ बयान, साहित्यकार मलिक को बताया जिहादी

असमिया साहित्य के जाने-माने साहित्यकार दिवंगत सैयद अब्दुल मलिक को 'जिहादी' कहने के अलावा बीजेपी विधायक ने यह भी कहा कि 2024 तक राम मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद राम राज्य होगा और बांग्लादेशी मुसलमानों के वर्चस्व में कमी आएगी। विधायक के बयान के बाद असमिया समाज में हुई तीखी प्रतिक्रिया को देखते हुए बीजेपी बचाव की मुद्रा में आ गई है। 
दिनकर कुमार

राम मंदिर के शिलान्यास के दिन असम के सोनितपुर जिले में भड़की सांप्रदायिक हिंसा की आग में घी डालते हुए बीजेपी के विधायक शिलादित्य देव ने यह कहकर विवाद छेड़ दिया है कि असमिया साहित्य के एक महत्वपूर्ण दिवंगत साहित्यकार सैयद अब्दुल मलिक (1919-2000) एक 'जिहादी' थे।

देव ने मीडिया से कहा, “यह एक साजिश है जो 1936 में सर सैयद मुहम्मद सादुल्ला के शासनकाल के दौरान शुरू हुई थी कि असम को बांग्लादेश में शामिल किया जा सके और अभी भी इसके लिए प्रयास जारी हैं। सैयद अब्दुल मलिक ने राज्य को बांग्लादेश में बदलने के इरादे से 'बौद्धिक जिहाद’ को तेज किया।” 

विधायक ने कहा कि सोनितपुर हिंसा ने स्पष्ट रूप से यह साबित कर दिया है कि "अगर बांग्लादेशी मुसलमानों का बहुमत हो जाएगा तो राज्य को इसका गंभीर खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।"

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बीजेपी विधायक देव ने कहा, “मैं हिंसा की घटना की निंदा करता हूं। हिंसा में शामिल लोगों की जल्द से जल्द पहचान की जानी चाहिए और उन्हें जनता के हवाले कर दिया जाना चाहिए।" 

‘हथियार निकालो और राज करो’

विधायक ने कहा, “एसपी और डीसी इतने डरते क्यों हैं? हथियार निकालो और राज करो। यह चिंता का विषय होगा यदि वे कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ त्वरित कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। यदि वे डर जाते हैं तो उन्हें प्रदान किए गए हथियार और बल बेकार हैं। ये चीजें उन्हें क़ानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए दी जाती हैं। ”

उन्होंने आगे कहा, "2024 तक राम मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद राम राज्य होगा और बांग्लादेशी मुसलमानों के वर्चस्व में कमी आएगी।" विधायक के बयान के बाद असमिया समाज में हुई तीखी प्रतिक्रिया को देखते हुए बीजेपी बचाव की मुद्रा में आ गई है। 

राज्य के बीजेपी नेता मुमिनुल ऐवल ने होजाई क्षेत्र के विधायक शिलादित्य देव द्वारा असम साहित्य सभा के पूर्व सभापति सैयद अब्दुल मलिक को 'बौद्धिक जेहादी' कहने वाले बयान को लेकर उनसे असम के लोगों से माफी मांगने के लिए कहा है।

‘टिप्पणी स्वीकार्य नहीं’ 

मीडिया से बात करते हुए ऐवल ने कहा, "मैं साहित्यकार मलिक के ख़िलाफ़ टिप्पणी के लिए बीजेपी विधायक की निंदा करता हूं। यदि आप मलिक पर अपनी प्रतिकूल टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते हैं तो आपको इसके नतीजे का सामना करना पड़ेगा। सैयद अब्दुल मलिक का असम में सभी सम्मान करते हैं। मलिक के ख़िलाफ़ इस तरह की टिप्पणी राज्य में किसी को भी स्वीकार्य नहीं है।’’ 

ऐवल ने कहा कि चूंकि मलिक असम साहित्य सभा के पूर्व सभापति थे, इसलिए इस साहित्यिक संस्था को भी देव के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए। इसके अलावा ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और राज्य के अन्य सभी जातीय संगठनों को भी मलिक के ख़िलाफ़ विधायक द्वारा दिए गए बयान पर अपना रूख़ स्पष्ट करना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि सैयद मलिक गरिया मुसलिमों से संबंधित एक स्थानीय असमिया थे और सभी स्थानीय मुसलिम संगठनों को भी इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।

निशाने पर अब्दुल मलिक

ऐसा लगता है कि दिवंगत साहित्यकार सैयद अब्दुल मलिक मुसलमान होने के चलते राज्य में हिन्दुत्व की राजनीति करने वालों के लिए आसान लक्ष्य बन गए हैं। इस वर्ष अप्रैल में मलिक को मंगलदेई कॉलेज की एक अंग्रेजी की अध्यापिका ने एक कविता के बहाने निशाना बनाया था और कहा था कि मलिक की एक कविता 'राष्ट्र विरोधी’ विचारों को व्यक्त करती है।

21 अप्रैल, 2020 को अध्यापिका रूपा रानी भुइयां ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट अपलोड की जिसमें उन्होंने दावा किया कि 'मोई असमिया' कविता के माध्यम से सैयद अब्दुल मलिक ने मुगलों का महिमामंडन किया था। इस पोस्ट पर विवाद पैदा हुआ और अध्यापिका के ख़िलाफ़ थाने में प्राथमिकी भी दर्ज करवाई गई थी।

क्या लिखा है कविता में?

अब्दुल मलिक पद्म भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता भी थे। मलिक की जिस असमिया कविता को विवाद के केंद्र में लाया गया, उसमें मलिक असम पर मुगल आक्रमण का वर्णन करते हैं और बताते हैं कि कितने मुसलमान जो मुगल फौज़ का हिस्सा थे, असम और इसकी सुंदरता से प्यार करने लगे थे और उन्होंने इसके साथ घुलने-मिलने का फ़ैसला किया था। उन्होंने लिखा है कि ये लोग असम में ही रहकर असमिया संस्कृति का अंग बन गए। लेकिन ऐसी कविता पर 'कट्टरपंथी', 'जिहादी' और 'राष्ट्र विरोधी' होने का आरोप लगाया गया है। 

इस बीच असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 5 अगस्त, 2020 को हुई सोनितपुर हिंसा की जांच के लिए पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत को निर्देश दिए हैं। जीपी सिंह, एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) ने बताया कि घटना में कम से कम 12 लोग घायल हो गए और नौ बाइकें जला दी गईं।

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अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास समारोह का जश्न मनाने के लिए आयोजित एक रैली को लेकर दो समुदायों के बीच झड़प के बाद सोनितपुर के डिप्टी कमिश्नर मानवेन्द्र प्रताप सिंह ने 5 अगस्त, 2020 से इस क्षेत्र में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया।

सोनितपुर जिले में थेलामारा और ढेकियाजुली पुलिस स्टेशनों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया गया है। डिप्टी कमिश्नर मानवेन्द्र प्रताप सिंह ने ट्वीट कर कहा कि 5 अगस्त की रात 10 बजे से जिला मजिस्ट्रेट की विशेष अनुमति के बिना लोगों को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

बजरंग दल को छूट क्यों?

समुदाय विशेष से जुड़े थेलामारा के स्थानीय लोगों द्वारा राम मंदिर के शिलान्यास का जश्न मनाने के लिए बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा निकाली गई बाइक रैली पर आपत्ति जताई गई। बाद में स्थानीय लोगों ने नौ बाइक और एक चार पहिया वाहन को आग लगा दी। इसे लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं कि कोरोना को लेकर इतने सारे प्रतिबंध लागू होने पर भी बजरंग दल के लोगों को जश्न मनाने की छूट कैसे मिल गई।

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