बिहार में रमजान के आख़िरी जुमे (अलविदा की नमाज) के दिन जहां एक ओर मुस्लिम संगठनों ने काली पट्टी पहनने की अपील की थी वहीं सवेरे सवेरे हिंदी के प्रमुख अख़बारों में नीतीश कुमार सरकार का फुल पेज का विज्ञापन नज़र आया जिसमें अल्पसंख्यकों के लिए राज्य सरकार की योजनाओं का बखान किया गया था।

फाइल फोटो
बिहार में रमजान के आख़िरी जुमा पर नीतीश सरकार की मुस्लिम समुदाय के प्रति सक्रियता बढ़ गई। क्या यह वफादारी जताने की कोशिश है या राजनीतिक गणित का हिस्सा? जानिए पूरी रिपोर्ट।
मुस्लिम संगठनों ने काली पट्टी लगाने की अपील केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन बिल का विरोध करने के लिए की थी। इन संगठनों ने पटना में 26 मार्च को इस बिल के ख़िलाफ़ ज़बर्दस्त धरना दिया और नीतीश कुमार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर नीतीश कुमार इसका विरोध नहीं करते तो सेक्युलर होने का उनका दावा निरर्थक है। धरना देने वाले संगठनों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अलावा बिहार-झारखंड की प्रमुख धार्मिक संस्था इमारत-ए-रिया भी शामिल थी। इनके अलावा जमात-इस्लामी हिंद के प्रमुख सैयद सादतुल्लाह हुसैनी भी दिल्ली से इस धरना में शामिल होने पटना पहुंचे थे।