झुम्पा लाहिरी के उपन्यास ‘द नेमसेक’ पर इसी शीर्षक से बनी फ़िल्म में अशोक गांगुली का किरदार निभाने वाले इरफ़ान ख़ान का वह सीन इस वक्त याद या रहा है जिसमें हवाई अड्डे पर लाइन में खड़े हुए वह सिर्फ हल्का सा सिर हिला कर गुडबाय का संकेत देते हैं और अगला ही दृश्य उनके किरदार अशोक गांगुली की मृत्यु का समाचार सामने लाता है और तब दर्शक के सामने एक सामान्य लगने वाले अभिवादन का अर्थ अलविदा की तरह खुलता है।
संघर्ष, दमदार अभिनय के बलबूते फ़िल्म इंडस्ट्री में इरफ़ान ने बनाई थी अलग पहचान
- सिनेमा
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- 30 Apr, 2020


मध्यवर्गीय परवरिश वाले माहौल से आने वाले इरफ़ान ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से निकलकर मुंबई की चकाचौंध वाली फ़िल्म इंडस्ट्री में अपने काम के दम पर पहचान बनाई। नामी फ़िल्मी सितारे होने के बावजूद वह कभी फ़िल्मी दुनिया की तड़क-भड़क का हिस्सा नहीं बने और पैसे, ब्रांडिंग और मार्केटिंग के पीछे पागलों की तरह दौड़ने की रेस से भी हमेशा दूर ही रहे।
उस दृश्य में और उस पूरी फ़िल्म में इरफ़ान का उच्च कोटि का अभिनय दर्शक से एक गहरे आध्यात्मिक, रहस्यवादी स्पर्श की तरह जुड़ता है और उस छुअन की थरथराहट बहुत देर तक बनी रहती है।


























