हिंदी सिनेमा के आज के दौर के शानदार और दमदार अदाकार माने जाने वाले, अपने मौलिक अभिनय का लोहा मनवाकर बिहार के बेतिया जैसे छोटे शहर से निकल कर कई राष्ट्रीय और फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड जीतने वाले मनोज वाजपेयी इन दिनों कुमाऊँ की हसीन वादियों में परिवार के साथ हैं। वह दो माह से लॉकडॉउन की वजह से शूटिंग स्थगित होने के कारण रुके हुए हैं। उनसे बातचीत की वरिष्ठ पत्रकार ध्रुव रौतेला ने।
हमारे समाज में वासना को लेकर कुंठाएँ कितनी हैं: मनोज वाजपेयी
- सिनेमा
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- 24 May, 2020

हिंदी सिनेमा के आज के दौर के शानदार और दमदार अदाकार माने जाने वाले मनोज वाजपेयी इन दिनों कुमाऊँ की हसीन वादियों में परिवार के साथ हैं। उनसे बातचीत की वरिष्ठ पत्रकार ध्रुव रौतेला ने।
सवाल- फ़ैमिली मैन के श्रीकांत त्रिपाठी और वास्तविक जीवन के मनोज वाजपेयी, जो पत्नी और एक छोटी बेटी के साथ रहते हैं, के बीच क्या समानता है?
मनोज वाजपेयी: जब आपकी यात्रा नीचे से ऊपर की ओर होती है तो आपके पास अनुभव का भंडार होता है। एक आम इंसान की तरह एक कलाकार का पिता के रूप में अनुभव करना और बेटी की चिंता करना स्वाभाविक है। आम इंसान की तरह श्रीकांत तिवारी भी वही सब करता है। उसमें एक मानव स्वभाव जैसी अच्छाई है तो बुराई भी। मसलन, वह पत्नी और उसके सहकर्मी के संबंधों पर शक करता है, पीछा करता है। इसी तरह दक्षिण भारतीय परिवार से आने वाली पत्नी के माता-पिता के साथ उसका एक प्रकार का द्वंद्व सांस्कृतिक और भाषाई भी है। इसलिए मेरा प्रयास चरित्र में डूबकर उसको बाहर लाने का रहता है।