देहरादून के मशहूर बैरिस्टर चंडी प्रसाद सिंह के बड़े बेटे (जन्म-1 सितंबर 1908) कृष्ण निरंजन सिंह अपनी बहन के इलाज के सिलसिले में कोलकाता नहीं गए होते तो बर्लिन ओलंपिक में हिस्सा लेकर खिलाड़ी बन गए होते। एक संभावना यह भी थी कि पिता की तरह इंग्लैंड जाकर लॉ की पढ़ाई कर लौटते और फिर उनकी तरह वकालत करते। उन्होंने एक बार देखा कि उनके पिता ने एक क़ातिल को क़ानून की गिरफ़्त से बचा लिया था। उनके युवा मन को धक्का लगा। उन्होंने सोचा कि अगर बैरिस्टर बन कर ऐसा ही कुछ करना होगा तो तौबा!
के एन सिंह: जिनकी मौजूदगी से दिलीप कुमार घबरा गये थे!
- सिनेमा
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- 29 Mar, 2025

कृष्ण निरंजन सिंह अपनी बहन के इलाज के सिलसिले में कोलकाता नहीं गए होते तो बर्लिन ओलंपिक में हिस्सा लेकर खिलाड़ी बन गए होते।कोलकाता गए और अभिनेता बन गए। जीवन के अंतिम सालों में अपनी आँखों के लिए विख्यात के एन सिंह की आँखों की रोशनी चली गई थी। मोतियाबिंद के मामूली ऑपरेशन में उनकी आँखें ख़राब हो गई थीं और दिखना बंद हो गया था। जीवन में आये अंधेरे को भी उन्होंने स्वीकार किया।
खैर, बहन की मदद से बर्लिन के बजाए वह 1936 में कोलकाता पहुँचे और संयोग से पृथ्वीराज कपूर से उनकी मुलाक़ात हो गई। उनके सुदर्शन व्यक्तित्व और उनकी आँखों से प्रभावित कपूर ने उन्हें देबकी बोस से मिलवा दिया। देबकी बॉस उन दिनों न्यू थिएटर्स के सक्रिय निर्देशक थे। देबकी बोस ने उन्हें ‘सुनहरा संसार’ (1936) में परदे पर उतार दिया।