नरेंद्र सिंह तोमर
बीजेपी - दिमनी
जीत
हरियाणा की बीजेपी सरकार द्वारा राज्य में गांधी-नेहरू परिवार द्वारा कथित रूप से जब्त की गई संपत्तियों की जांच का आदेश देने के बाद यह सवाल एक बार फिर खड़ा हुआ है कि क्या गांधी-नेहरू परिवार बीजेपी शासित केंद्र और राज्य सरकारों के निशाने पर है।
हरियाणा सरकार ने अपने विभागों से कहा है कि वे इस संबंध में जांच शुरू करें और गांधी-नेहरू परिवार की संपत्तियों की सूची तैयार करें।
हरियाणा में हर बार विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गाधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा की ज़मीनों का मामला उछाला जाता है। लेकिन खट्टर सरकार आज तक वाड्रा के ख़िलाफ़ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकी है।
पिछले विधानसभा चुनाव में बहुमत से कुछ सीटें दूर रही बीजेपी को हरियाणा में बनी नई-नवेली जननायक जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार चलानी पड़ रही है। बहुमत के लिए दूसरी पार्टियों के विधायकों पर डोरे डाल रही बीजेपी ने सोनीपत जिले की बरौदा सीट पर होने वाले उपचुनाव को देखते हुए तो कहीं यह दांव नहीं खेला है।
हरियाणा में रॉबर्ट वाड्रा की ज़मीनों को लेकर बीजेपी की ओर से लगाए जाने वाले तमाम आरोप राजनीतिक बयानबाजियों तक ही सिमटे रह गए।
राजस्थान में 2018, नवंबर तक बीजेपी की सरकार रहने के दौरान भी रॉबर्ट वाड्रा की ज़मीनों के मामले को लेकर तमाम ख़बरें आती रहीं लेकिन वहां भी सरकार इस मामले में सिर्फ़ राजनीतिक बयानबाज़ी तक ही सीमित रह गई।
इसके अलावा इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार ने प्रियंका गांधी वाड्रा से कहा था कि वह नई दिल्ली में उन्हें मिला सरकारी बंगला 1 अगस्त को खाली कर दें। पिछले साल सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका की एसपीजी सुरक्षा भी वापस ले ली गई थी।
एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को गुड़गांव में अलॉट किया गया एक और प्लॉट भी हरियाणा सरकार की जांच के घेरे में है। ईडी पहले ही हरियाणा के पंचकुला में एक विवादित प्लॉट को जब्त कर चुकी है। एजेएल का नियंत्रण गाँधी परिवार के हाथ में है।
आरोप है कि हुड्डा ने यह प्लॉट एजेएल को 23 साल पुरानी क़ीमतों पर 2005 में मुख्यमंत्री रहते हुए दिया था। हालांकि हुड्डा ने क़ीमतों में गड़बड़ी के आरोपों से इनकार किया था।
इससे पहले सीबीआई, ईडी जैसी बड़ी एजेंसियां वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के पीछे लगी रहीं और उन्हें कई दिन जेल में गुजारने पड़े।
गांधी-नेहरू परिवार के अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई के ठिकानों पर हाल में छापेमारी, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार, वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के ख़िलाफ़ भी जांच एजेंसियां समय-समय पर छापेमारी करती रही हैं।
कांग्रेस के इन तमाम पुराने नेताओं और गांधी-नेहरू परिवार के करीबी समझे जाने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई को लेकर तमाम सवाल भी उठते रहे हैं।
इसी महीने की शुरुआत में गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी फ़ाउंडेशन (आरजीएफ़) और गांधी परिवार से जुड़े दो अन्य ट्रस्ट को हुई फ़ंडिंग की जांच में सहायता के लिए एक कमेटी बनाई थी। केंद्र सरकार ने कहा था कि यह कमेटी आरजीएफ़ के अलावा राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा भी प्रीवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), इनकम टैक्स एक्ट और फॉरेन कांट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट (एफ़सीआरए) के कथित रूप से कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन के आरोपों की जांच करेगी।
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