वसुंधरा राजे
बीजेपी - झालरापाटन
जीत
एप्पल थ्रेट अलर्ट पर हंगामे के बाद सरकार ने जाँच बैठाई और एप्पल उस जाँच में शामिल हो गया है। एप्पल हैक करने के प्रयासों के आरोपों के सिलसिले में साइबर सुरक्षा पर सरकार की नोडल एजेंसी CERT-In (भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम) ने जाँच शुरू की। सवाल है कि इस जाँच में एप्पल के शामिल होने के क्या मायने हैं? आख़िर एप्पल ने सीधे-सीधे यह क्यों नहीं कह दिया कि यह नोटिफिकेशन ग़लती से या फिर तकनीकी खामी की वजह से यूज़रों के पास चली गई थी?
एप्पल थ्रेट अलर्ट आने पर विवाद के बीच सरकार ने कहा था कि जांच यह निर्धारित करने पर केंद्रित है कि क्या एप्पल उत्पाद सुरक्षित हैं और उपभोक्ताओं की गोपनीयता की रक्षा के लिए उन पर भरोसा किया जा सकता है।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री ने कहा कि आईटी मंत्रालय ने एप्पल को एक नोटिस भेजा था जिसमें राजनीतिक नेताओं और कुछ मीडियाकर्मियों को भेजे गए अलर्ट पर स्पष्टीकरण मांगा गया था।
सरकार ने एप्पल को यह नोटिस तब भेजा था जब एप्पल इंक ने मंगलवार को एप्पल थ्रेट एलर्ट को लेकर मचे घमासान पर जवाब दे दिया था। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि एप्पल ने कहा कि यह एक ग़लत अलार्म हो सकता है, ऐसे हमले का पता लगाना सिग्नल पर निर्भर करता है जो अक्सर सटीक और संपूर्ण नहीं होते हैं। रिपोर्टों में कहा गया था कि कंपनी ने एक बयान में कहा, 'एप्पल थ्रेट नोटिफिकेशन के लिए किसी खास सरकार-प्रायोजित हमलावर को जिम्मेदार नहीं ठहराता है।' इसने कहा, 'सरकार-प्रायोजित हमलावर बहुत अच्छी तरह से वित्त पोषित और सॉफिस्टिकेटेड होते हैं। ऐसे हमलों का पता लगाना थ्रेट नोटिफिकेशन संकेतों पर निर्भर करता है जो अक्सर सटीक और संपूर्ण नहीं होते हैं। यह संभव है कि कुछ एप्पल थ्रेट नोटिफिकेशन गलत अलार्म हों, या कुछ हमलों का पता ही नहीं चल पाए।'
महुआ मोइत्रा, शशि थरूर, प्रियंका चतुर्वेदी, अखिलेश यादव सहित कई लोगों ने इसकी शिकायत की। शशि थरूर ने तो दावा किया था कि उन्होंने इसको सत्यापित कराया और इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि हुई।
इनको भेजे गए अलर्ट वाले ईमेल में कहा गया, "आप जो भी हैं या आप जो करते हैं, इस वजह से ये हमलावर संभवतः आपको व्यक्तिगत रूप से निशाना बना रहे हैं। यदि आपके उपकरण के साथ किसी सरकार-प्रायोजित हमलावर ने छेड़छाड़ कर दी है, तो वे दूर से ही आपके संवेदनशील डेटा, बातचीत या यहाँ तक कि कैमरा और माइक्रोफ़ोन तक पहुंचने में सक्षम हो सकते हैं।'
पत्रकार और टेक्नेलॉजी पॉलिसी के जानकार निखिल पाहवा ने भी एप्पल की चेतावनी को गंभीरता से लेने का आग्रह किया है। उन्होंने ट्वीट किया है, 'ऐसे सॉफिस्टिकेटेड हमलों से बचना लगभग असंभव है, क्योंकि वे आपको किसी भी माध्यम से लिंक पर क्लिक करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं...।'
उन्होंने ट्विटर थ्रेड में कहा, 'मुझे यह भी बताया गया है कि समीर सरन जैसे गैर राजनीतिक लोग भी प्रभावित हुए हैं। एक अन्य पत्रकार ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि यह एप्पल के सॉफ्टवेयर की खराबी है। समीर साइबर पॉलिसी में गहराई से लगे हुए हैं, और मुझे संदे है कि एक सॉफ्टवेयर खराबी केवल कुछ चुनिंदा भारतीयों को प्रभावित करती है, खासकर वे जो राजनीतिक रूप से जुड़े हुए हैं।'
ऐसे आरोपों के बीच सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "यदि एप्पल डिवाइस सुरक्षित हैं… हम जानना चाहते हैं कि वे ‘खतरे वाले सूचना संदेश’ क्या थे। हमने उनसे स्पष्टीकरण देने को कहा है। यदि उनके उपकरण सुरक्षित हैं तो उन्हें पारदर्शी होना चाहिए और अपने उपभोक्ताओं और सरकार को कमियों का खुलासा करना चाहिए।" उन्होंने कहा था कि एप्पल को जांच में शामिल होना चाहिए। चन्द्रशेखर ने कहा, 'चूंकि खतरे की सूचनाएं 150 देशों में चली गई हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि एप्पल जांच में शामिल हो और ईमानदारी और पारदर्शिता से स्पष्टीकरण दे।' बुधवार को केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि CERT-In ने जांच शुरू कर दी है। सरकार के सूत्रों ने बताया कि एप्पल की एक टीम गुरुवार को जांच में शामिल हुई।
हाल ही में CERT-In ने iPhone के ऑपरेटिंग सिस्टम iOS में कुछ कमियों की पहचान की थी और एप्पल द्वारा अपने नए उत्पाद लॉन्च करने से ठीक पहले 27 अक्टूबर को एक औपचारिक सलाह जारी की थी।
एप्पल ने थ्रेट अलर्ट नोटिफिकेशन का यह फंक्शन सबसे पहली बार तब शुरू किया था जब दो साल पहले पेगासस स्पाइवेयर का मामला ख़बरों में आया था। यह ख़बर एप्पल द्वारा iPhones को हैक करके अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने के लिए इजराइली एनएसओ ग्रुप के खिलाफ मुक़दमा दायर करने के बाद आई थी। रॉयटर्स की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया था कि एप्पल ने थाईलैंड में चेतावनी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि एक्टिविस्ट संभवतः सरकार प्रायोजित हमले के शिकार थे।
तब 2021 में एमनेस्टी इंटरनेशनल और सिटीजन लैब की एक जांच से पता चला था कि पेगासस स्पाइवेयर दुनिया भर में कई पत्रकारों, एक्टिविस्टों और सरकारी आलोचकों के आईफोन और एंड्रॉइड फोन को हैक करने में सक्षम था। पेगासस ने दिखाया कि कैसे विशेष रूप से iPhones को स्पाइवेयर द्वारा निशाना बनाया गया था और iMessage असुरक्षित था। एप्पल ने बाद में कई खामियों को ठीक करने के लिए सॉफ़्टवेयर अपडेट जारी किए थे।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें