loader
अरुण गोयल (अब पूर्व चुनाव आयुक्त)

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा, अब CEC राजीव कुमार अकेले रह गए

चुनाव आयोग अगले हफ्ते लोकसभा चुनाव की तारीखें घोषित करने की प्रक्रिया में था। लेकिन उससे पहले शनिवार को एक चौंकाने वाले कदम में, चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा बिना देर लगाए स्वीकार कर लिया है। भारतीय चुनाव आयोग में पहले से ही एक पद खाली था और अब सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही अकेले रह गए।

इस अचानक पैदा हुई स्थिति से अब चुनाव की तारीख घोषित होने में देर हो सकती है या फिर सरकार एक-दो दिन में नया चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दे। लेकिन उसके लिए प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी। यानी सर्च कमेटी नाम देगी। फिर पीएम बाकी सदस्यों के साथ बैठक करके फैसला लेंगे। हालांकि अब उसमें सिर्फ औपचारिकता होगी, क्योंकि सरकार के फैसलों को चुनौती देने वाला उस कमेटी में अब कोई नहीं है। पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस भी उसके सदस्य होते थे।
ताजा ख़बरें

एनडीटीवी के मुताबिक सरकार के आला अधिकारियों ने कहा कि अरुण गोयल ने इस्तीफा देते समय व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया। सरकार ने उन्हें इस्तीफा न देने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने जिद की। इस अटकल पर कि इस्तीफे का कारण सेहत है, उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है और अरुण गोयल पूरी तरह स्वस्थ हैं। एक अधिकारी ने कहा, "सरकार खाली पदों पर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेगी।"

1985 बैच के आईएएस अधिकारी गोयल ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया था और एक ही दिन बाद उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसने सरकार से पूछा था कि "आखिरकार जल्दबाजी" क्या थी।


कोर्ट ने पूछा था-  "कानून मंत्री ने शॉर्टलिस्ट किए गए नामों की सूची में से चार नाम चुने... फाइल 18 नवंबर को रखी गई थी। उसी दिन आगे बढ़ गई। यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री ने भी उसी दिन नाम की सिफारिश कर दी। हम कोई टकराव नहीं चाहते, लेकिन क्या यह किसी जल्दबाजी में किया गया? आखिर इतनी जल्दी क्या है।''
देश से और खबरें
अरुण गोयल प्रकरण में यह साफ है कि सरकार से बेहतर रिश्तों की वजह से ही उनके रिटायरमेंट के एक ही दिन बाद उन्हें चुनाव आयुक्त कर दिया गया। नियुक्ति की इतनी तेज प्रक्रिया ऐसे महत्वपूर्ण पद के लिए इससे पहले कभी इस तरह नहीं देखी गई। तमाम राजनीतिक दलों के कार्यकाल में सरकार की पसंद के अधिकारी नियुक्त किए जाते रहे हैं लेकिन इतनी जल्दी किसी अन्य नियुक्ति में नहीं की गई। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें