अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के बयान के बाद कुछ लोग उनके पक्ष में हैं तो कुछ उन्हें देशद्रोही बता रहे हैं। एक पक्ष का कहना है कि उन्होंने सिर्फ़ अपने डर के बारे में बताया है और ऐसा करना सही है। जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि उन्हें अभी ही ऐसा बयान देने की क्या ज़रूरत थी। सत्यहिंदी.कॉम ने इस पर प्रतिक्रियाएँ माँगी थीं। हम इन्हें प्रकाशित कर रहे हैं। पहले पढ़िए नसीरुद्दीन शाह के विरोध में आई प्रतिक्रियाएँ -
नसीरुद्दीन शाह के बयान पर क्या सोचते हैं लोग?
- देश
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- 29 Mar, 2025
नसीरुद्दीन शाह के बयान के बाद कुछ लोग उनके पक्ष में हैं तो कुछ उन्हें देशद्रोही बता रहे हैं। इसे लेकर लोग दो हिस्सों में बँट गए हैं। इस पर लोगों का क्या कहना है, पढ़िए।

प्रोपगैंडा न फैलाएँ शाह
नसीरुद्दीन शाह जी, एक हामिद अंसारी हैं जो हाल ही में पाकिस्तान से भारत आए हैं और आते ही अपने वतन की धरती पर नतमस्तक हो गए। जब हामिद और उनकी माँ सुषमा स्वराज से मिले तो उन्होंने कहा कि मेरे देश से महान कोई देश नहीं है। हामिद को अपने देश में डर नहीं लगता जो कि बिना शोहरत वाला व्यक्ति है। लेकिन जिस देश ने आपको फलने-फूलने का मौका दिया उस देश में आपको डर लगता है। अरे हामिद अंसारी को छोड़ दीजिए, अपने रिश्तेदार डॉक्टर रिज़वान अहमद जी का उदाहरण ही ले लीजिए। डर की बात तो छोड़िए, उनको अपने देश पर और देशवासियों पर नाज़ है।
आप कह सकते हैं कि पहले ऐसी स्थिति नहीं थी जो अब है। सवाल यह है कि 1984 में सिखों का क़त्लेआम हुआ, 1989-90 में कश्मीर में हिन्दुओं का नरसंहार हुआ, भागलपुर में दंगा हुआ, मेरठ के मलियाना में क़त्लेआम हुआ, तब आपको डर क्यों नहीं लगा था? आज आपको डर क्यों लग रहा है जबकि पिछ्ले पाँच सालों में उस स्तर का कोई भी दंगा-फ़साद नहीं हुआ? दाल में कुछ काला नज़र आ रहा है अभिनेता महोदय। कृपया इस तरह का प्रोपगैंडा फैलाने की कोशिश न करें।
- बीबी कुँवर
केवल राजनीति से प्रेरित बयानबाज़ी
यह बिल्कुल सही है कि सबको अपनी बात कहने की स्वतंत्रता है। लेकिन स्वतंत्रता का अर्थ स्वच्छंदता नहीं है। बयान क्या है? उससे ज्यादा महत्वपूर्ण बयान देने वाला कौन है? बयान देने का समय क्या है? जिस तरह पाकिस्तान ने नसीरुद्दीन शाह के बयान को लपका है, क्या यह हमारे लिए ठीक है? यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनी हुई सरकार है। जनता को लगेगा, यह सरकार ग़लत कर रही है वह दूसरा विकल्प ढूंढ लेगी। अगर आप अल्पसंख्यकों के इतने हितैषी हैं तो दो शब्द 1984 के नरसंहार के बारे में ज़रूर बोलते। यह सब मात्र राजनीति से प्रेरित बयानबाज़ी है, ख़बरों में रहने सरल तरीका है।
एक घटना में यूपी के कन्नौज जिले में बीमारी के कारण अक्षम हुए नूरूज्ज़मा अन्सारी के घर जाकर स्वास्थ्य अधिकारी सद्दाम हुसैन ने उन्हें आयुष्मान भारत का गोल्डन कार्ड दिया, जिसके कारण इनके ऑपरेशन पर खर्च होने वाले तीन लाख रुपये अब सरकार के द्वारा दिए जाएंगे। एक बार अन्सारी जी से पूछ से लीजिए, क्या वह देश में अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं?
- डॉ. डी. एम. काला, मुरादाबाद