ओमिक्रॉन संक्रमण के ख़िलाफ़ कोविशील्ड वैक्सीन टीकाकरण के 6 महीने बाद बेअसर साबित हो रही है, ऐसा एक शोध में सामने आया है। इस हिसाब से भारत की कितनी बड़ी आबादी ओमिक्रॉन के जोखिम में होगी?
ओमिक्रॉन के ख़िलाफ़ ऐसे टीकाकरण से कैसे लड़ पाएँगे?
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- 23 Dec, 2021
ओमिक्रॉन वैरिएंट से भारत में लोगों को कैसे सुरक्षा मिलेगी यदि सभी लोगों को वैक्सीन ही नहीं लगी है, जो लगी हैं वे अब शायद उतनी कारगर नहीं रहीं और बूस्टर खुराक दी नहीं जा रही है?

इसका आकलन करने के लिए दो तथ्य अहम हैं। एक तो यह कि 1 अरब 40 करोड़ की आबादी वाले भारत में अब तक क़रीब 56 करोड़ लोगों को ही दोनों खुराक लगी हैं। यानी अभी भी क़रीब 85 करोड़ लोग तो सीधे तौर पर मूल कोरोना वायरस के जोखिम में भी हैं, ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट की तो बात ही दूर है। दूसरा तथ्य यह है कि अब यदि ताज़ा शोध की मानें तो यदि छह महीने में यह वैक्सीन ओमिक्रॉन पर कारगर नहीं होती है तो फिर इस साल जनवरी से लेकर जून के बीच टीके लगवाने वाले लोगों को ओमिक्रॉन के ख़िलाफ़ सुरक्षा नहीं मिलेगी। वैसे भी शोध तो यह भी कहते हैं कि बिना बूस्टर खुराक के ओमिक्रॉन संक्रमण को रोकने में कोई भी टीका कारगर नहीं है।