loader

रोना विल्सन : जिन पर है मोदी की हत्या की साजिश रचने का आरोप!

भीमा कोरेगाँव मामले में अभियुक्त बनाए गए और फ़िलहाल जेल में बंद रोना जैकब विल्सन ने बंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उनके मामले को ख़ारिज करने की माँग की है।

विल्सन के वकील सुदीप पसबोला ने अमेरिकी अख़बार 'वाशिंगटन पोस्ट' में छपी खबर के हवाले से अदालत से कहा है कि रोना को फँसाया गया है, वे निर्दोष हैं। 

बता दें कि 'वाशिंगटन पोस्ट' की खबर में कहा गया है कि रोना विल्सन के लैपटॉप पर साइबर हमला कर बाहर से आपत्तिजनक सामग्री डाली गई और उस आधार पर ही उनके ख़िलाफ मामला चलाया गया।

विल्सन के वकील ने अमेरिका स्थित एक डिजिटल फोरेंसिक लैबोरेटरी से लैपटॉप की जाँच करवाई तो साइबर हमले की बात का खुलासा हुआ। 'वाशिंगटन पोस्ट' ने ख़बर छापने के पहले तीन निष्पक्ष लोगों से जाँच करवाई और उस रिपोर्ट को सही पाया। 

ख़ास ख़बरें

क्या है मामला

6 जनवरी, 2018 को पाँच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, सुरेंद्र गाडलिंग, रोना विल्सन, सुधीर धवले, शोमा सेन और महेश राउत को देश के अलग-अलग हिस्से से गिफ़्तार किया। उन पर 1 जनवरी, 2018 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगाँव में भड़काऊ भाषण देने का मामला लगाया। उन पर 'अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ प्रीवेन्शन एक्ट' (यूएपीए) के तहत मामला चलाया गया।

पुलिस ने कहा कि इन लोगों को 'प्रतिबंधित माओवादी गुटों से साँठगाँठ रखने' और 31 दिसंबर, 2017, को 'हिंसा भड़काने के मामले में शामिल' होने की वजह से गिरफ़्तार किया गया है। 

मोदी की हत्या की साजिश!

रोना विल्सन पर यह आरोप भी लगाया गया था कि उन्होंने प्रतिबंधित माओवादी गुटों के साथ मिल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रची थी। 

यह कहा गया था कि उन्होंने माओवादियों को चिट्ठी लिख कर कहा था कि सत्ता को उखाड़ फ़ेंकने और प्रधानमंत्री की हत्या करने के लिए बंदूकों व गोलियों की ज़रूरत है।

अमेरिकी डिजिटल फोरेंसिक कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विल्सन के लैपटॉप कंप्यूटर पर साइबर हमला कर ये चिट्ठियाँ बाहर से डाली गई थीं। यह काम किसने किया, इस पर कुछ नहीं कहा गया है।  

भीमा कोरेगाँव में हिंसा

बता दें कि महाराष्ट्र के भीमा कोरेगाँव में दलित संगठन एल्गार परिषद के कार्यक्रम में हिंसा हुई थी। भीमा कोरेगाँव में हर साल दलित एकत्रित होते हैं और 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों पेशवाओं की हार पर जश्न मनाते हैं। इस बार उस घटना के 200 साल पूरे हो रहे थे और इसलिए कार्यक्रम भी बड़ा था। उस युद्ध में दलित महार जाति के मुट्ठी भर सैनिकों ने पेशवाओं की बड़ी सेना को शिकस्त दी थी। पेशवाओं के समय दलितों पर सामाजिक अत्याचार होते थे और वे पेशवाओं की पराजय को अपनी मुक्ति की ओर बढ़ा हुआ कदम मानते हैं।

rona wilson : cyber attack to crush dissent2 - Satya Hindi
भीमा कोरेगाँव में 1 जनवरी 2018 को बड़ा कार्यक्रम हुआ था।

5 मानवाधिकार कार्यकर्ता गिरफ़्तार!

इसके बाद 28 अगस्त, 2018, को पुलिस ने और पाँच लोगों को गिरफ़्तार किया। ये थे, अकादमिक जगत की हस्ती सुधा भारद्वाज, जनकवि वरवर राव, दिल्ली के मानवाधिका कार्यकर्ता गौतम नवलखा, वरनॉन गोंज़ालविस और अरुण फ़रेरा। इन लोगों पर भी भीमा कोरेगाँव में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था। 

पुलिस पर आरोप लगा कि वह सरकार से असहमति रखने वालों को परेशान कर रही है और उन्हें इन मामलों में फँसा रही है। 

सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर, 2018 को इस आरोप को ख़ारिज कर दिया कि इन लोगों को सरकार से असहमति रखने और उसकी आलोचना करने की वजह से फँसाया गया है।

एनआईए की चार्जशीट

लेकिन अदालत ने इन अभियुक्तों से कहा कि वे चार सप्ताह में ज़मानत की अर्जी निचली अदालत में दें। तब से अब तक कई बार वे ज़मानत की अर्जी दे चुके हैं, लेकिन अब तक जेल में ही हैं। 

बात यहीं नहीं रुकी। इसके बाद यह मामला राष्ट्रीय जाँच एजेंसी को सौंप दिया गया। 

भीमा कोरेगाँव कांड की जाँच संभालने के लगभग 10 महीने बाद अक्टूबर, 2020 में  एनआईए ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की। इनमें 8 लोगों के नाम थे और इन पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। एनआईए ने चार्जशीट में कहा है कि 1 जनवरी 2018 को 'योजनाबद्ध रणनीति' के तहत दलितों पर हमले हुए थे।

rona wilson : cyber attack to crush dissent2 - Satya Hindi
सुधा भारद्वाज, वरनॉन गोंज़ाल्विस, वरवर राव, गौतम नवलखा और अरुण फ़रेरा

दस हज़ार पेज की चार्जशीट में मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा, प्रोफ़ेसर आनंद तेलतुम्बडे, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हैनी बाबू, कबीर कला मंच की ज्योति जगताप, सागर गोरखे और रमेश गायचोर को भी नामजद किया गया। सीपीआई माओवादी के मिलिंद तेलतुम्बडे के भी नाम था, जो उस समय फ़रार थे।

आनंद तेलतुम्बडे पर आरोप है कि वह भीमा कोरेगाँव शौर्य दिन प्रेरणा अभियान के संयोजक हैं और 31 दिसंबर 2017 को एलगार परिषद के कार्यक्रम में मौजूद थे।

एनआईए ने चार्जशीट में कहा है कि इन सभी अभियुक्तों ने प्रतिबंधित संगठन सीपीआई माओवादी की विचारधारा को आगे बढ़ाया, हिंसा को बढ़ावा दिया और सरकार के ख़िलाफ़ लोगों के मन में नफ़रत और असंतोष फैलाया।

बाद में एनआईए ने इस मामले में आदिवासियों के लिए काम करने वाले 83 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी को भी गिरफ़्तार किया है। ख्यात प्राप्त इतिहासकार रामचंद्र गुहा और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस गिरफ़्तारी पर मोदी सरकार की आलोचना की थी। 

कौन हैं रोना विल्सन?

कोरल के कोल्लम में जन्म रोना विल्सन की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई पुद्दुचेरी में हुई, पर वे युवा होते ही दिल्ली चले गए। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एम.ए. करने के बाद वहीं से एम. फ़िल किया। उन्हें ब्रिटेन के सरे विश्वविद्यालय और लीस्टर विश्वविद्यालय से पीएच. डी. में दाखिला मिल गया। वे 2018 में वहाँ से स्कॉलरशिप पाने की कोशिश कर रहे थे, उसी बीच गिरफ़्तार कर लिए गए। 

रोना विल्सन ने 1990 के दशक से देश में चल रहे आतंकवाद-विरोधी (काउंटर टेररिज़्म) अभियान पर अध्ययन शुरू किया। इस दौरान वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्लाय के प्रोफ़ेसर एस. ए. आर. गिलानी के संपर्क में आए। बाद में गिलानी पर संसद पर हुए हमले की साजिश रचने के आरोप लगा। उन्हें अंत में बरी कर दिया गया। 

रोना विल्सन ने इसी दौरान 'कमिटी फ़ॉर द रिलीज ऑफ़ पोलिटिकल प्रिज़नर्स' संस्था की स्थापना की।

rona wilson : cyber attack to crush dissent2 - Satya Hindi
रोना विल्सन

इसके बाद विल्सन दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर जी. एन. साईबाबा के संपर्क में आए। साईबाबा पर राजद्रोह का आरोप लगा 2017 में उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई। वे अपाहिज हैं, कुर्सी पर ही रहते हैं, लेकिन उनके साथ कोई रियायत नहीं बरती गई। साईबाबा की रिहाई के लिए बनी समिति में रोना विल्सन के साथ-साथ लेखिका अरुंधित राय भी हैं। 

रोना विल्सन की दिलचस्पी फ़िल्म में थी और उन्होंने दूरदर्शन के लिए कई कार्यक्रम बनाने वाले सिद्धार्थ काक के साथ मिल कर काम किया था। 

असहमति के सुरों को कुचलने की रणनीति

रोना विल्सन का मामला बंबई हाई कोर्ट में है। अदालत उनके कंप्यूटर पर साइबर हमला होने और उन्हें फ़ँसाने के मामले में क्या कहती है, यह अभी देखा जाना है। इस तरह की बात पहली बार नहीं हुई है। लेकिन, अब यह ट्रेंड बनता जा रहा है कि सरकार की आलोचना करने वालों पर नज़र रखी जाती है, उसे किसी न किसी मामले में फंसाया जाता है।

इसी तरह एक मामला 2019 में आया था, जब यह पता चला था कि पैगेसस नामक स्पाईवेअर का इस्तेमाल कर उन लोगों पर निगरानी रखी गई थी, जो सरकार की आलोचना किया करते थे।

वॉट्सऐप से भेजते थे स्पाइवेअर

इसमें वॉट्सऐप के ज़रिए यह सॉफ़्टवेअर भेजा गया था, डाउनलोड करते हुए वह इनस्टॉल हो जाता था और हर तरह की ऑनलाइन गतिविधि की जानकारी भेजने लगता था। 

'स्क्रॉल.इन' के अनुसार, छत्तीसगढ़ के जगदलपुर लीगल ऐड ग्रुप की शालिनी गेरा ने कहा था कि सिटीज़न लैब के जॉन स्कॉट रैलटन ने अक्टूबर के पहले हफ़्ते में उनसे संपर्क साधा था। सिटीज़न लैब कनाडा की एक लैबोरेटरी है जो सूचना नियंत्रण पर अध्ययन करती है। रिपोर्ट के अनुसार गेरा ने कहा कि "मैं पूरी तरह से चौंक गई जब उन्होंने कहा कि इस साल फ़रवरी और मई के बीच मुझे निशाना बनाया गया।" 

ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क के प्रमुख निहालसिंह राठौड़ ने 'स्क्रॉल.इन' से बातचीत में आरोप लगाया था कि भीमा कोरेगाँव केस में आरोप लगाने वाली जिस चिट्ठी को सबूत के तौर पर पेश किया गया है, वह सरकारी एजेंसियों द्वारा स्पाइवेयर के इस्तेमाल से तैयार की गई होगी।

उन्होंने कहा कि सिटीज़न लैब ने उनसे 7 अक्टूबर को संपर्क किया था। फिर ख़ुद राठौड़ ने 14 अक्टूबर को ग्रुप से बात की। उन्होंने कहा कि 29 अक्टूबर को वाट्सऐप से भी सिक्योरिटी तोड़े जाने की सूचना मिली थी।

वाट्सऐप स्पाइवेयर के शिकार हुए राठौड़ भीमा कोरेगाँव केस में आरोपी बनाए गए सुरेंद्र गाडलिंग के वकील हैं। राठौड़ ने कहा, ‘मेरे वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग इसी तरह के कॉल और संदेश प्राप्त करते थे...।’ 

आनंद तेलतुंबडे भीमा कोरेगाँव मामले में अभियुक्त हैं, उन्हें गिरफ़्तार भी किया गया था। उन्हें सिटीज़न लैब से फ़ोन करके बताया गया कि उन्हें निशाना बनाया गया है। उन्होंने ‘स्क्रॉल.इन’ को बताया, ‘मैं पहले से सतर्क था, लेकिन दोस्तों से पता लगाने के बाद मुझे एहसास हुआ कि वे सही थे।

तेलतुम्बडे के अनुसार, उनके दोस्तों ने उन्हें बताया कि 'स्पाइवेयर से आपके फ़ोन को नियंत्रित किया जा सकता है- माइक्रोफ़ोन और कैमरा चालू करते ही आपके पासवर्ड चोरी हो जाएँगे।’
rona wilson : cyber attack to crush dissent2 - Satya Hindi
प्रोफ़ेसर आनंद तेलतुम्बडे
भीमा कोरेगाँव मामले की अभियुक्त सुधा भारद्वाज का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अंकित ग्रेवाल ने ‘स्क्रॉल.इन’ को बताया कि उन्हें पिछले कुछ समय से संदेह था, क्योंकि उन्हें विदेशी नंबरों से वाट्सऐप पर मिस्ड कॉल आ रहे थे। इससे उन्हें बार-बार हैंडसेट बदलने पड़े।

इतिहासकार रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक और देवकी जैन, समाजशास्त्र के प्रो. सतीश पांडे और मानवाधिकार कार्यकर्ता माजा दारूवाला ने इस मामले में देश की शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर इन मानवाधिकार एवं नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई तथा उनकी गिरफ़्तारी की स्वतंत्र जाँच कराने का अनुरोध किया था।

इसके बाद 1 अक्टूबर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने नवलखा को नज़रबंदी से मुक्त कर दिया था। लेकिन 3 अक्टूबर को महाराष्ट्र सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 12 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट नवलखा की लंबित याचिका पर आठ सप्ताह में फ़ैसला दे। 12 जून 2019 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि नागरिक स्वतंत्रता के हिमायती कार्यकर्ता गौतम नवलखा के ख़िलाफ़ प्रथम दृष्टया कोर्ट ने कुछ नहीं पाया है।

अर्बन नक्सल के नाम पर आलोचकों का मुँह बंद करने की सरकार की कोशिश। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें