हम बहुत विकट समय में पहुँच गए हैं। यह समय जो नफ़रतों और हिंसा से भरा हुआ है और जिसमें प्रेम एक वर्जित तथा बेहद ख़तरनाक़ शब्द जान पड़ता है। हर तरफ़ प्रेम के दुश्मन दिखलाई पड़ते हैं। माथे पर तिलक लगाए, गले में भगवा गमछा डाले घृणा से सराबोर ये लोग प्रेम को किसी तरह से बर्दाश्त करने, बख्शने के लिए तैयार नहीं हैं। दूसरे धर्मों, जातियों के युवक-युवतियों से प्रेम करने पर तो उन्हें आपत्ति है ही, सधर्मियों-सजातियों से प्रेम संबंध बनाने पर भी वे लाठी-भाले लेकर उन पर टूट पड़ते हैं।
'तुम्हें प्यार करते हुए': मुँह में गुड़ की तरह घुलता प्रेम-रस
- साहित्य
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- 9 Nov, 2020

कवि पवन करण के कविता संग्रह 'तुम्हें प्यार करते हुए' की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें छोटे-छोटे जीवनानुभवों में छिपे प्रेम को सहज-सरल ढंग से शब्दों में बाँधा गया है। प्रेम इसमें एक निर्मल नदी की तरह स्वाभाविक ढंग से बहता हुआ लगता है। कवि को मालूम है कि छोटी-छोटी बातों में कितना प्रेम छिपा होता है और जिसे अकसर लोग, यहाँ तक कि प्रेमीजन भी महत्वहीन मानकर उपेक्षा कर देते हैं।
तमाम तरह की कुंठाओं से ग्रस्त ये आपराधिक गिरोह राजनीतिक दलों के लिए एक ऐसा मानस तैयार करने के अभियान का हिस्सा है, जिससे वे सत्ता की फ़सल काट सकें। ब्राह्मणवादी पितृसत्तात्मक समाज को तुष्ट करने वाले इस हिंसक गठजोड़ ने प्रेम को एक ऐसे शब्द से जोड़ दिया है जो वैसे तो दूसरे पवित्र अर्थ रखता है मगर इस्लामोफोबिया से ग्रस्त समाज उसे धार्मिक संकट के तौर पर देखता है। लव जिहाद नामक यह शब्द-युग्म प्रेम विरोधी भावनाओं की चरम अभिव्यक्ति बन गया है।