हम बहुत विकट समय में पहुँच गए हैं। यह समय जो नफ़रतों और हिंसा से भरा हुआ है और जिसमें प्रेम एक वर्जित तथा बेहद ख़तरनाक़ शब्द जान पड़ता है। हर तरफ़ प्रेम के दुश्मन दिखलाई पड़ते हैं। माथे पर तिलक लगाए, गले में भगवा गमछा डाले घृणा से सराबोर ये लोग प्रेम को किसी तरह से बर्दाश्त करने, बख्शने के लिए तैयार नहीं हैं। दूसरे धर्मों, जातियों के युवक-युवतियों से प्रेम करने पर तो उन्हें आपत्ति है ही, सधर्मियों-सजातियों से प्रेम संबंध बनाने पर भी वे लाठी-भाले लेकर उन पर टूट पड़ते हैं।