हिंदी का मुहावरा कहता है नक्कारखाने में तूती की आवाज़ कौन सुनता है। लेकिन अपनी श्रेष्ठता और महानता का अहर्निश ढोल पीटने वाली भड़भड़िया हिंदी टीवी पत्रकारिता के नक्कारखाने में कमाल खान की तूती बोलती थी। जिस दौर में समाचार चैनलों के स्वनामधन्य सुपरसितारे ईमानदार और निष्पक्ष कहे जाने पर कटाक्ष का अनुभव करते हों क्योंकि अपनी पत्रकारिता की ईमानदारी और निष्पक्षता की असलियत उन्हें पता है, कमाल ख़ान एक ऐसा चेहरा थे जिनकी ईमानदार, बेबाक़ पत्रकारिता ने बिना कोई शोर मचाए बेहद शालीनता से लाखों लोगों का भरोसा हासिल किया था।
भड़भड़िया टीवी पत्रकारिता के दौर में एक शालीन आवाज़ थे कमाल ख़ान
- श्रद्धांजलि
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- 14 Jan, 2022

चौबीसों घंटे ख़बरों की आपाधापी में खपती पत्रकारिता की हड़बड़ाई सी दुनिया अपने वृहत् परिवार के किसी सदस्य पत्रकार के जाने से विचलित होती हो या न होती हो, अच्छी पत्रकारिता का सम्मान करने वालों और ऐसे पत्रकारों के प्रशंसकों के लिए कमाल खान का यूँ अचानक चले जाना यक़ीनन एक बहुत बड़ा सदमा है।
टेलीविजन की हाहाकारी पत्रकारिता, शोर-शराबे और चीख चिल्लाहट वाली अहंकारी दुनिया में कमाल साहब बिरले ढंग के पत्रकार थे- शांत, शिष्ट, संभ्रांत, जोशीले लेकिन विनम्र, बहुत जानकार, प्रतिबद्ध।