हिंदी का मुहावरा कहता है नक्कारखाने में तूती की आवाज़ कौन सुनता है। लेकिन अपनी श्रेष्ठता और महानता का अहर्निश ढोल पीटने वाली भड़भड़िया हिंदी टीवी पत्रकारिता के नक्कारखाने में कमाल खान की तूती बोलती थी। जिस दौर में समाचार चैनलों के स्वनामधन्य सुपरसितारे ईमानदार और निष्पक्ष कहे जाने पर कटाक्ष का अनुभव करते हों क्योंकि अपनी पत्रकारिता की ईमानदारी और निष्पक्षता की असलियत उन्हें पता है, कमाल ख़ान एक ऐसा चेहरा थे जिनकी ईमानदार, बेबाक़ पत्रकारिता ने बिना कोई शोर मचाए बेहद शालीनता से लाखों लोगों का भरोसा हासिल किया था।